E9 News, सोलन (साक्षी शर्मा) दाड़लाघाट स्थित अंबुज सीमेंट उद्योग के प्रबंधन द्वारा की जा रही कर्मचारियों की छंटनी के विरोध में स्टेट अंबुजा सीमेंट मैनेजमेंट इंप्लाइज एसोसिएशन ने मोर्चा खोल दिया है। अब कंपनी द्वारा एकाउंट्स विभाग के आधा दर्जन कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इस बात को लेकर कर्मचारी यूनियन भड़क गई है तथा उन्होंने संघर्ष का बिगुल बजा दिया है। वहीं रविवार से कंपनी के सूली व रौड़ी दोनों ही प्लांटों पर कार्य बंद कर दिया गया है। इससे कंपनी में कार्यरत करीब चार हजार ट्रांस्पोर्टरों को आने वाले दिनों में कई तरह की दिक्क्तों का सामना करना पड़ सकता है। जानकारी के मुताबिक अंबुजा सीमेंट उद्योग दाड़लाघाट में कर्मचारियों की छंटनी का सिलसिला जारी है। कंपनी के इस रवैये को लेकर स्टेट अंबुजा सीमेंट मैनेजमेंट इंप्लाइज एसोसिएशन ने आंदोलन पर जाने का फैसला ले लिया है। हालांकि एसोसिएशन ने आंदोलन पर जाने से पूर्व प्रबंधन वर्ग के समक्ष अपनी मांगों को रखा,लेकिन उन्हें प्रबंधन वर्ग से स्वीकार करने से साफ इंकार कर दिया है। इससे एसोसिएशन भड़क गई और कर्मचारियों ने कंपनी गेट पर सरकार तथा एसोसिएशन के खिलाफ नारेबाजी की।
हैरानी की बात यह है कि अंबुजा सीमेंट कंपनी में श्रमिकों की 105 दिनों तक चली हड़ताल का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि कंपनी ने एकाउंट्स विभाग के छह कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। कंपनी के इस निर्णय के बाद इंटक समर्थित स्टेट अंबुजा सीमेंट मैनेजमेंट इंप्लाइज एसोसिएशन ने मोरचा खोल दिया है। एसोसिएशन के तकनीकी व गैर तकनीकी कर्मचारी फैक्ट्री गेट पर आ गए और सुल्ली तथा रौडी दोनों सीमेंट कारखाने पूर्ण रूप से बंद हो गए हैं।
एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र वर्मा,पवन शर्मा,पवन गौत्तम ,रजनीश, हरीश शर्मा,मोहन चंदेल,नागेंद्र गांधी का कहना है कि कंपनी प्रबंधन कर्मचारी विरोधी फैसले ले रहा है ,जिसे बर्दाशत नहीं किया जाएगा। एसोसिएशन का कहना है कि छंटनी को लेकर एचआर प्रमुख अविनाश वर्मा के साथ बैठक की गई,लेकिन उन्होंने लिखित में किसी भी तरह की कार्यवाही करने से मना कर दिया। इससे कंपनी की कर्मचारियों के प्रति मंशा साफ जाहिर हो रही है।
गौर रहे कि एसोसिएशन इंटक से संबंध रखती है व अंबुजा प्रबंधन 27 अगस्त,2015 के डिमांड चार्टर पर बात न करके एसोसिएशन को ही गैरकानूनी करार दे रहा है एसोसिएशन का कहना है कि यह कदापि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनका कहना है कि जब तक एसोसिएशन को मान्यता नहीं दी जाती व कर्मचारियों की लगातार की जा रही छंटनी का क्रम बंद नहीं हो जाता, तब तक यूनियन संघर्ष जारी रहेगी। इस संघर्ष में कंपनी के सभी विभागों के कर्मचारी शामिल है।
उन्होंने कहा कि अंबुजा सीमेंट कंपनी के यहां खुलने से क्षेत्र के हजारों लोगों को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। साथ ही प्रदेश सरकार को भी करोड़ों रुपए का राजस्व मिलता है। परंतु जिस तरह से कंपनी में पिछले कुछ समय से स्थिति बनी हुई है उससे हर वर्ग आहत हो रहा है। यूनियन अध्यक्ष सुरेंद्र वर्मा ने बताया कि इस संघर्ष में कंपनी के उत्पादन विभाग, क्वालिटी, मैकेनिकल, इंस्ट्रुमेंट, वाणिज्य, इलेक्ट्रिकल्स, पर्यावरण, खनन, एकाउंट्स, स्वास्थ्य, हॉर्टिकल्चर व ड्रॉइंग विभाग के सभी कर्मचारी सदस्य शामिल हैं।
बरकार विवाद को सुलझाने में करें हस्तक्षेप-गुप्ता
एडीकेएम के निदेशक एवं ट्रांस्पोर्टर अनिल गुप्ता ने संपर्क करने पर कहा कि पिछले काफी समय से ट्रक आपरेटरों मांग के मुताबिक कार्य नहीं मिल रहा है। किसी भी व्यक्ति का रोजगार न छिने इस दिशा में प्रदेश सरकार तथा कंपनी को कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों से कंपनी के दोनों ही प्लांट बंद पड़े है इसके चलते आने वाले दिनों में ट्रांसपोर्टरों के कार्य पर विपरीत असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मांग के मुताबिक कार्य न मिलने की वजह से फाइनंसर ट्रांस्पोर्टरों की गाडिय़ों को उठा कर ले जा रहे हैं। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह तथा उद्योग मंत्री मुकेश अग्रिहोत्री से मांग की है कि अंबुजा सीमेंट उद्योग में प्रबंधन तथा कर्मचारी वर्ग के बीच उपजे विवाद को सुलझाएं,ताकि किसी की रोजी पर आंच न आए।
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