E9 News, शिमला (कीर्ति) उर्दू शायरी की दुनिया में हिमाचल प्रदेश की दस्तार-ए-फजीलत कहे जाने वाले अजीम शायर सुरेश चंद्र शौक का निधन हो गया है। सुरेश चंद्र शौक, जिन्हें उनके चाहने वाले शौक शिमलवी के नाम से भी पुकारते थे, का बीते रोज मुंबई में निधन हो गया। उनके निधन की खबर से समूचे हिमाचल में शोक की लहर दौड़ गई है।सुरेश चंद्र शौक तीन महीने पहले शिमला से मुंबई अपने बेटे के पास रहने के लिए गए थे। वहां उनकी तबीयत नासाज हुई और शनिवार रात को उनका देहांत हो गया। 79 वर्ष में चल बसे शौक की गजल संग्रह ‘आंच’ शायरी की दुनिया का अजीम संग्रह माना जाता है। सुरेश चंद्र शौक के निधन पर हिमाचल के तमाम बड़े लेखकों ने गहरा दुख जताया है। शायरी के संसार के विख्यात हस्ताक्षर राजेंद्र नाथ रहबर, युवा गजलकार द्विजेंद्र द्विज, नासिर युसूफजई, तौफीक सिद्दिकी, नवनीत शर्मा, पवनेंद्र पवन सहित कई अन्य लेखकों ने उनके निधर पर शोक जताया है। हिमाचल के कांगड़ा जिला के शक्तिपीठ ज्वालामुखी में 5 अप्रैल 1938 को जन्में सुरेश चंद्र शौक एजी ऑफिस से सीनियर ऑडिट ऑफिसर के तौर पर सेवानिवृत हुए थे। मशहूर शायर राजेंद्र नाथ रहबर ने शौक साहिब के लिए लिखा है कि सुरेश चंद्र शौक साहिब की शायरी किसी फकीर की मांगी हुई दुआ की तरह है, जो हर हाल में कुबूल हो कर रहती है। सुरेश चंद्र शौक के निधन पर उन्हीं के गजल संग्रह आंच का एक शेर सभी को याद आ रहा है-
‘चार दिन काट कर चल देंगे सभी सूए अदम
मुस्तकिल कुछ भी यहां तेरा न मेरा जोगी।’
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