November 14, 2024

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अब सरकार ही मारेगी बंदर, ईको टास्क फोर्स को मिलेगा जिम्मा

E9 News, शिमला (कीर्ति कौशल) हिमाचल प्रदेश में अब सरकार ने ही उत्पाती बंदरों को मारने का जिम्मा उठाने का फैसला लिया है। राज्य सरकार के आग्रह पर केंद्र सरकार ने बंदरों को वर्मिन (खेती और इनसान के लिए खतरनाक) घोषित किया था। उसके बाद से बेशक उत्पाती बंदरों को मारने का रास्ता साफ हुआ हो, लेकिन न तो वन्य प्राणी विभाग, न स्थानीय प्रशासन और न ही किसानों ने बंदरों को मारने के लिए कदम बढ़ाए। थक-हार कर अब सरकार ने ही उन इलाकों में बंदरों को मारने का जिम्मा लिया है, जहां बंदरों को वर्मिन घोषित किया गया है। प्रदेश सरकार बंदरों को वैज्ञानिक तरीके से मारने के लिए ईको-टॉस्क फोर्स का गठन करेगी। ये फोर्स वैज्ञानिक तरीकों से उन बंदरों को मारेगी, जो फसल व इनसान के लिए खतरा बन चुके हैं। प्रदेश में 38 तहसीलों व नगर निगम शिमला की परिधि में बंदरों को वर्मिन घोषित किया गया है। सोमवार को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में यह फैसला लिया गया। प्रदेश सरकार ने फसलों को खतरा बने जंगली जानवरों व बंदरों के आतंक से निपटने के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की है। इसी समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। वन विभाग ईको-टॉस्क फोर्स तैयार करेगा, जो उत्पाती बंदरों को मारेगी। अभी तक का अनुभव बताता है कि प्रदेश के किसान बंदरों के साथ धार्मिक भावना जुड़ी होने के कारण उन्हें अपने हाथों मारने से कतरा रहे थे। किसान बार-बार सरकार से आग्रह कर रहे थे कि इसके लिए वन्य प्राणी विशेषज्ञों की सेवाएं ली जानी चाहिए और यह कार्य वैज्ञानिक तरीके से होना चाहिए।
बैठक में आए कई सुझावः मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों व बागवानों की उपज को बंदरों व जंगली जानवरों से खतरा बना हुआ है। वे फसलों को नष्ट कर देते हैं। इसके अलावा बंदर महिलाओं व बच्चों पर हमला करते हैं। प्रदेश सरकार ने शिमला के समीप ‘रेस्क्यू सेंटर फॉर लाईफ केयर’ खोलने का निर्णय लिया है। ये सेंटर समस्या का समाधान करने में सहायक होंगे। इन सेंटर्स में एक हजार आवारा तथा नसबंदी किए गए बंदरों को रखने की क्षमता होगी।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि नेशनल हाईवे के किनारे, ग्रामीण व शहरी इलाकों में बंदरों की समस्या से निपटने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्य दलों का गठन किया जाएगा। इसके अलावा मादा बंदरों पर गर्भ निरोधक गोलियों के इस्तेमाल से प्रजनन दर पर नियंत्रण लगाने के प्रयास भी किए जाएंगे। अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) की सचिव व विधायक आशा कुमारी ने सड़कों के किनारे बंदरों को खाद्य पदार्थ खिलाने पर कानूनी कदम उठाने की सलाह दी। राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव तरूण कपूर ने कहा कि नसबंदी वाले बंदरों की पहचान के लिए उनके माथे के बीच स्थाई टैटू उकेरे जाएंगे। उन्होंने कहा कि मोबाइल बंदर नसबंदी इकाई (वैन) भी इसमें सहायक सिद्ध होगी।
सवा लाख से अधिक बंदरों की नसबंदीः राज्य सरकार के वन विभाग के प्रधान मुख्य अरण्यपाल (वन्य प्राणी) एसके शर्मा के अनुसार हिमाचल प्रदेश में अब तक 1 लाख, 25 हजार, 266 बंदरों की नसबंदी की गई है। वर्ष 2015 की गणना के मुताबिक प्रदेश में बंदरों की कुल संख्या 2 लाख, 07 हजार, 614 है। उन्होंने बताया कि वन मंडलाधिकारियों की देखरेख में प्रत्येक सर्किल में गठित त्वरित कार्रवाई दलों को बंदरों की नसबंदी करने तथा इन्हें परिवहन पिंजरों तक लाने के लिए ट्रैंग्क्वालाइजिंग गन दी जाएंगी। जाखू मंदिर में बंदरों के लिए एक आहार स्थल स्थापित किया जा रहा है। बैठक में सीपीएस नंदलाल, विधायक संजय रतन, जय राम ठाकुर व सुरेश भारद्वाज सहित मुख्य सचिव वीसी फारका, तमिलनाड़ू के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. होनावली एन.कुमारा, वाइल्ड लाइफ इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक कुंवर कुरैशी शामिल थे।