E9 News नयी दिल्ली: भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहब अम्बेडकर के साहित्य के करीब पंद्रह हज़ार पृष्ठ अब तक प्रकाशित हो चुके हैं लेकिन अब भी उनके तीन से चार हज़ार पृष्ठ न तो प्रकाशित हुए हैं और न ही कहीं संग्रहीत हुए हैं। इन पन्नो के प्रकाशन से अंबेडकर के जीवन दर्शन के बारे में देश को नयी जानकारी मिल सकेगी। यह कहना है राज्यसभा के पूर्व मनोनीत सदस्य एवं प्रसिद्ध अर्थशास्त्री तथा दलित चिन्तक प्रो.भालचंद्र मुंगेकर का जिन्होंने बाबा साहब की श्रेष्ठ रचनाओं का एक संचयन सम्पादित किया है जिसका कई भाषाओं में अनुवाद होगा ताकि देश भर के लोग उनके विचारों से अवगत हो सके।
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