November 15, 2024

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गैर-इरादतन धर्म का अपमान जुर्म नहीं: सुप्रीम कोर्ट

E9 News, नई दिल्ली (ब्यूरो): वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संवैधानिक संरक्षण को दोहराते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि अनजाने में किसी धर्म के लिए अप्रिय बात कहने या अपमान करने पर मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए क्योंकि इससे कानून का दुरुपयोग होता है. कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए के हो रहे दुरुपयोग पर चिंता जाहिर करते हुए यह बात कही. धार्मिक भावनाओं को आहात करने पर इस कानून के तहत तीन साल की जेल की सजा का प्रावधान है. सुप्रीम कोर्ट ने जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्यों के लिए दंड प्रावधान को लागू करने और अनजाने में बिना दुर्भावनापूर्ण और गलत इरादे की गई टिप्पणी में अंतर बताया. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि अनचाहे तरीके से, लापरवाही में या बिना किसी खराब मंशा के अगर धर्म का अपमान होता है या किसी वर्ग विशेष की धार्मिक भावनाएं भड़कती हैं, तो यह कानून की इस धारा के अंतर्गत नहीं आता. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, ए एम खानविलकर और एमएम शांतनगुदार की बेंच ने कहा कि बिना किसी दुर्भावनापूर्ण इरादे से अनजाने में या लापरवाही में या अनिच्छा से हुए धर्म के अपमान, जिससे उस धर्म के लोग रोष में आ जाएं, इस धारा के दायरे में नहीं आएगा.

धोनी के खिलाफ केस दर्ज हुआ था : क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये टिप्पणी की. 2013 में एक बिजनेस मैगजीन के कवर पेज पर उन्हें भगवान विष्णु के अवतार के तौर पर दिखाया गया था. तस्वीर में धोनी जूते समेत कई चीजें पकड़े हुए थे. इसके बाद उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ था. याचिका में धोनी ने अपने खिलाफ आपराधिक मुकदमे को चुनौती दी थी.

धारा 295 का गलत इस्तेमाल : सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपने फैसले में कानून की धारा 295A के गलत इस्तेमाल पर भी चिंता जाहिर की है. इस धारा के तहत धार्मिक भावनाएं भड़काने के दोषियों को 3 साल तक सजा हो सकती है. अदालत का कहना था कि अगर कोई अनचाहे तरीके से, या लापरवाही में या बिना किसी खराब मंशा के धर्म का अपमान करता है तो ये काम धारा 295A के तहत नहीं गिना जा सकता.

1957 में भी 295A को लेकर स्थिति की थी साफ : सुप्रीम कोर्ट ने साल 1957 में भी धारा 295A को लेकर स्थिति साफ की थी. अदालत के फैसले में कहा गया था कि गैर-इरादतन धर्म का अपमान करने के मामले धारा-295A के तहत नहीं आते. लेकिन पिछले कुछ सालों में ना सिर्फ इस धारा का गलत इस्तेमाल बढ़ा है बल्कि देश में असहिष्णुता को लेकर बहस भी गर्म हुई है. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले को अहम माना जा रहा है.

फंस चुकी हैं कई हस्तियां : आम लोगों के साथ कई नामचीन हस्तियों को भी सेक्शन 295A के गलत इस्तेमाल का शिकार होना पड़ा है. साल 2016 में हास्य कलाकार किकू शारदा को डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत राम रहीम के अपमान के आरोप में जेल जाना पड़ा था. सितंबर 2014 में सलमन खान पर मुस्लिमों की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने का आरोप लगा था. दरअसल उनके एनजीओ ‘Being Human’ के फैशन शो में एक मॉडल की टी-शर्ट पर लिखे अरबी शब्द को लेकर कुछ लोगों ने ऐतराज उठाया था. इसी तरह फिल्म ‘पीके’ को लेकर आमिर खान के खिलाफ भी शिकायत दर्ज करवाई गई थी. एक्टर अक्षय कुमार और निर्देशक उमेश शुक्ला पर फिल्म ‘ओ माई गॉड’ में भगवान कृष्ण के चित्रण को लेकर अजमेर में एफआईआर दर्ज हुई थी. साल 2012 में शाहरुख खान और गौरी खान पर ‘राधा ऑन द डांस फ्लोर’ गाने को लेकर केस दर्ज हुआ था.