November 15, 2024

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गोवा मामले पर राज्यसभा में हंगामा, लोकतंत्र की हत्या का लगाया आरोप

E9 News, नई दिल्लीः गोवा में बीजेपी सरकार बन गई और सीएम मनोहर पर्रिकर ने विधानसभा में बहुमत भी साबित कर दिया, लेकिन इस पर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने में नाकाम रहने को लेकर पार्टी में भीतर ही निशाने पर आए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को यह मसला राज्यसभा में उठाया, जिसके चलते खूब हंगामा हुआ। उन्होंने बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया और पूरे घटनाक्रम में राज्यपाल की भूमिका पर भी सवाल उठाए। गोवा मामले को राज्यसभा में उठाते हुए दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठाए जिसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया। गोवा में लोकतंत्र की हत्या किए जाने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने इस मसले पर चर्चा की मांग रखी। जवाब में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार चर्चा को तैयार है, अगर इस पर मूल प्रस्ताव लाया जाए। राज्यसभा के उपसभापति पीजे कुरियन ने भी कहा कि राज्यपाल के आचरण पर चर्चा तभी हो सकती है जब मूल प्रस्ताव लाया जाए।
इसके बाद कांग्रेस सांसदों ने जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। नारे लगाते हुए कांग्रेस के सांसद आसंदी के सामने आ गए। वे ‘लोकतंत्र की हत्या बंद करो’ नारा लगा रहे थे। कांग्रेस के इस हंगामे में बिहार में उसके सहयोगी दल जेडीयू ने साथ नहीं दिया, जबकि समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस का समर्थन किया। लगातार हंगामा होते देख सदन की कार्यवाही को 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। राज्यसभा में जाने से पहले दिग्विजय सिंह ने गोवा में कांग्रेस सरकार न बन पाने को लेकर एक बार फिर सफाई दी। कांग्रेस की चुनावी असफलताओं के सवाल पर दिग्गी यहां तक कह गए कि मोदी कोई भगवान नहीं हैं कि उन्हें रोका न जा सके। उन्होंने कहा, ‘नरेंद्र मोदी भगवान नहीं है, उन्हें रोका जा सकता है। उसके लिए उन पार्टियों में राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है जो सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ हैं।’ उन्होंने गोवा के कांग्रेस विधायक विश्वजीत राणे पर भी सवाल खड़े किए। दिग्गी ने कहा, ‘कल सुबह 10 बजे उन्होंने विप पर साइन किए और 12 बजे वह फ्लोर टेस्ट में मौजूद नहीं थे।’ बता दें कि राणे ने ही सबसे पहले दिग्विजय की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने इस संबंध में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र भी लिखा था। उन्होंने कांग्रेस और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा भी दे दिया है।