E9 News, नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आज कहा है कि जाकिर नाइक की इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को बैन करने का केंद्र का फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा की हिफाजत करने के लिए किया गया था। हाई कोर्ट ने यह बात इस बैन को चुनौती देने वाली आईआरएफ की याचिका को खारिज करते हुए कही। केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली नाइक की संस्था की याचिका में ‘‘दम नहीं’’ होने की बात कहते हुए अदालत ने कहा कि सरकार का आदेश ‘‘मनमाना और अवैध नहीं’’ था।
न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार द्वारा यह निर्णय भारत की संप्रभुता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा की हिफाजत के लिए लिया गया था।’’ अदालत ने सरकार के इस दावे पर भी सहमति जताई कि यह आदेश अच्छी तरह विचार करने के बाद दिया गया था क्योंकि यह डर भी था कि युवा लोग आतंकी समूहों से जुड़ने के लिए चरमपंथ की चपेट में आ सकते हैं।
अदालत ने कहा कि सरकार ने नाइक के संगठन पर प्रतिबंध को तत्काल लागू करने के अपने फैसले के समर्थन में अदालत के समक्ष साक्ष्य पेश किए हैं। सरकार ने अदालत से कहा था कि संस्था के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जरूरी साक्ष्य उसके पास पर्याप्त संख्या में हैं। अदालत ने संगठन पर तत्काल प्रतिबंध के आदेश के खिलाफ आईआरएफ की याचिका पर एक फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। केंद्र ने अदालत के समक्ष वे फाइलों और सामग्रियां भी पेश की थीं, जिनके आधार पर फैसला लिया गया था।
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