November 15, 2024

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डिजिटल भुगतान को देश में बढ़ावा देने के लिए कैट ने किया गोलमेज सम्मेलन

E9 News शिमला, ( विजयेन्दर शर्मा) : देश में नकद रहित अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के सन्दर्भ में कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स ने आज नई दिल्ली में एक गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया जिसमें केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली से आग्रह किया है की डिजिटल भुगतान द्वारा किये गए लेन-देन पर बैंक अथवा अन्य संस्थानों द्वारा किसी भी प्रकार का ट्रांसक्शन शुल्क नहीं लिया जाए और सरकार बैंको को ट्रांसक्शन शुल्क की भरपाई सीधे तौर पर करे ! कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी.भरतिया ने कहा की डिजिटल भुगतान को अपनाने में ट्रांसक्शन शुल्क एक बहुत बड़ी बाधा है और इसको बढ़ावा दिए जाने के तौर पर उपभोक्ता अथवा व्यापारियों से कोई भी ट्रांसक्शन शुल्क न लिया जाए ! एक कदम आगे बढ़ाते हुए कैट ने यह भी शुझाव दिया है की नकद के चलन को कम करने के लिए सरकार एटीएम से धन निकालने पर एक न्यूनतम सरचार्ज लगाये जिससे एटीएम से अनावश्यक रूप से नकद निकलने पर रोक लगे ! उधर दूसरी ओर डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए सरकार एक समग्र इंसेंटिव स्कीम घोषित करे जिसके अन्तर्गत डिजिटल भुगतान के प्रत्येक तरीके जिसमें सभी प्रकार के डेबिट एवं क्रेडिट कार्ड सहित पोस मशीन, मोबाइल पोस, मोबाइल वॉलेट, मोबाइल एप्लीकेशन, क्यू आर कोड, यूपीआई, आधार आधारित पेमेंट एप्लीकेशन आदि को इंसेंटिव स्कीम में शामिल किया जाए ! कैट ने कहा की केंद्र सरकार ने अगस्त 2015 में देश में इलेक्ट्रॉनिक भुगतान को बढ़ावा देने के लिए एक कैबिनेट नोट तैयार किया था जिसमें व्यवसायिओं ओर उपभोक्ताओं को कर में रियायतें ओर अन्य लाभकारी प्रस्ताव थे! कैट ने आग्रह किया है की सरकार उक्त कैबिनेट नोट को स्वीकार कर नकदरहित अर्थव्यवस्था के लिए एक माहौल तैयार करे ! कैट ने यह भी सुझाव दिया है की देश में डिजिटल भुगतान को सही तरीके से लागू करने के लिए एक डिजिटल पेमेंट प्रमोशन बोर्ड का गठन किया जाए जिसमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अलावा व्यापारियों ओर उपभोक्ताओं के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए वहीँ दूसरी ओर वट्टल कमेटी की सिफारिशों के अनुरूप एक स्वतंत्र डिजिटल पेमेंट नियामक बोर्ड भी बनाया जाए ओर रूपए कार्ड को संचालित करने के लिए अलग से एक अथॉरिटी का गठन किया जाए ! डिजिटल भुगतान व्यवस्था में नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी और माइक्रो फाइनेंस इंस्टिट्यूशंस को भी शामिल किया जाए !