E9 News, चेन्नईः तमाम हंगामों और हिंसा के बीच ई पलानीसामी ने शनिवार को तमिलनाडु विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया। वोटिंग के दौरान डीएमके के विधायकों को विधानसभा से बाहर निकाला गया जबकि कांग्रेस के नेताओं ने भी वॉकआउट कर लिया था। यह दोनों दल सीक्रेट वोटिंग की मांग कर रहे थे। वोटिंग में पलानीसामी के समर्थन में 122 मत पड़े, जबकि बहुमत के लिए 118 मतों की जरूरत थी।
इससे पहले पलानीस्वामी के विश्वास प्रस्ताव पेश करते ही सदन में गर्मागर्म बहस शुरू हो गई। विपक्ष के नेता एम.के. स्टालिन ने विधानसभा अध्यक्ष से ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के विधायक एस. सेम्मालाई को बोलने की अनुमति देने के लिए कहा। सेम्मालाई एआईएडीएमके में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम खेमे के विधायक हैं। सेम्मालाई को एआईएडीएमके प्रेजिडियम चैयरमैन ई. मधुसूदनन ने मुख्य सचेतक नियुक्त किया था। वह खुद भी पन्नीरसेल्वम गुट के नेता हैं। विपक्षी डीएमके, कांग्रेस तथा पन्नीरसेल्वम गुट गुप्त मतदान की मांग कर रहे हैं। ई. पलानीसामी ने गुरुवार को सीएम पद की शपथ ली है।
तमिलनाडु के इतिहास में 29 साल बाद फ्लोर टेस्ट की नौबत आई थी। इससे पहले एमजी रामचंद्रन के निधन के बाद AIADMK में फूट पड़ी थी, उस दौरान फ्लोर टेस्ट में जयललिता अपनी जीत दर्ज करा पाने में नाकामयाब रही थीं, लेकिन बाद में वह चुनाव में वे जीतकर लौटीं। इस बार भी फ्लोर टेस्ट में कुछ ऐसे ही हालात हैं।
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