E9 News, नई दिल्ली (ब्यूरो) तेलंगाना विधानसभा ने रविवार को सर्वसम्मति से पिछड़े मुस्लिमों और अनुसूचित जनजातियों के लिए क्रमश: 12 और 10 फीसदी आरक्षण देने से संबंधित एक विधेयक पारित कर दिया। इस दौरान हंगामा करने पर भाजपा के सभी पांचों विधायकों को दिन भर के लिए निलंबित कर दिया गया था। भाजपा ने विधेयक का विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह विरोध किया था। भाजपा को छोड़कर पूरे विपक्ष ने पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आरक्षण विधेयक, 2017 का समर्थन किया। इसके बाद विधान परिषद भी रविवार शाम को ही चर्चा के बाद इसे पारित कर दिया। इस कानून से राज्य में कुल आरक्षण बढ़कर 62 प्रतिशत हो जाएगा। रविवार को जैसे ही दिन भर के विशेष सत्र की शुरुआत हुई, मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने पिछड़े वर्ग के मुस्लिमों और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए क्रमश: 12 और 10 प्रतिशत आरक्षण करन से संबंधित विधेयक राज्य विधानसभा और विधान परिषद के विशेष संयुक्त सत्र में पेश किया। विधेयक ने अनुसूचित जनजाति के लिए भी शिक्षा और नौकरी में आरक्षण को छह प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। दोनों सदन से बिल पास होने के बाद अब इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए केंद्र के पास भेजा जाएगा और इसे संविधान की नौंवी अनुसूची को शामिल करने का अनुरोध भी किया जाएगा। तमिलनाडु के मामले में ऐसा ही किया गया था।
विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने कहा कि यदि केंद्र तेलंगाना के आग्रह को स्वीकार करने से इनकार करता है तो राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय में जाएगी। राव ने कहा कि तमिलनाडु दो दशकों से ज्यादा समय से 69 फीसदी आरक्षण को क्रियान्वित कर रहा है। पांच से छह राज्य 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण दे रहे है। आप तेलंगाना के साथ इससे इनकार कैसे कर सकते हैं। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्यों में सभी आरक्षणों पर 50 फीसदी की सीमा तय की है।
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