November 15, 2024

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धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाने को लेकर सरकार को नोटिस जारी करने से HC का इनकार

E9 News, धर्मशाला (उदय पठानिया) धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाने के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करने से इनकार किया है। सोमवार को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मंसूर अहमद मीर व न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने इस संदर्भ में याचिका दाखिल करने वाले प्रार्थी परेश शर्मा को अगली सुनवाई पर याचिका की गुणवत्ता स्पष्ट करने के आदेश दिए। परेश शर्मा ने राज्य सरकार के उस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें सरकार ने धर्मशाला को प्रदेश की दूसरी राजधानी बनाने का ऐलान किया है। प्रार्थी ने सरकार के इस ऐलान को गैर जरूरी व गैर कानूनी बताते हुए दूसरी राजधानी के संबंध में जारी की गई अधिसूचना को खारिज करने की मांग अदालत से की है। मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को तय की गई है।
बता दें कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने धर्मशाला को हिमाचल की दूसरी राजधानी घोषित करने के फैसले के संदर्भ में तीन मार्च को अधिसूचना जारी की थी। परेश शर्मा ने इस अधिसूचना को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ ने याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी करने से इनकार किया। प्रार्थी परेश शर्मा ने हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में आरोप लगाया है कि राज्य सरकार का इस फैसले के पीछे मकसद राजनीतिक लाभ लेने का है।
प्रार्थी का आरोप है कि हिमाचल की मौजूदा परिस्थितियों में दूसरी राजधानी की कोई आवश्यकता नहीं है। साथ ही कहा कि यह फैसला प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों के बिना लिया गया है। यही नहीं, फैसला लेते समय राज्य की वित्तीय परिस्थितियों को अनदेखा किया गया है। महज सत्तर लाख की आबादी वाले छोटे से पहाड़ी राज्य में दो राजधानियों की कोई जरूरत नहीं है, न ही इस फैसले से किसी तरह का जनहित होगा। प्रार्थी ने यह भी कहा है कि दूसरी राजधानी को नीति निर्धारण शक्तियों की आड़ में बनाना कानूनन गलत है। सरकार इस तरह गैर कानूनी व मनमाना फैसला नहीं ले सकती। हिमाचल प्रदेश पहले ही 45 हजार करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। ऐसे में दूसरी राजधानी पर होने वाले खर्च में कहीं पर भी जनहित नजर नहीं आता है। याचिका में प्रार्थी का यह भी कहना है कि मौजूदा सरकार के कुछ अपने विधायक भी इस फैसले को तर्कहीन बता रहे हैं। फिलहाल अब मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी।