E9 News, शिमला (ब्यूरो) हिमाचल में विधानसभा के चुनावी साल में वीरभद्र सरकार योग गुरू बाबा रामदेव को चिट्ठी लिखेगी। चौंकिए मत! ये चिट्ठी कोई चुनावी समर्थन के लिए नहीं होगी, बल्कि प्रदेश सरकार चिट्ठी लिखकर बाबा रामदेव से हाईकोर्ट में लंबित एक केस को वापिस लेने के लिए कहेगी। दरअसल, हिमाचल की पूर्व भाजपा सरकार ने योगगुरू को सोलन जिला के साधुपुल में पतंजलि ट्रस्ट को लीज पर जमीन दी थी। चार साल पहले कांग्रेस की सरकार ने सत्ता में आते ही जमीन की लीज रद्द कर दी थी जिसके खिलाफ ट्रस्ट ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। केस अभी अदालत में लंबित है, लेकिन पिछली कैबिनेट में वीरभद्र सरकार ने लीज रद्द करने संबंधी फैसला वापिस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसके लिए बाबा रामदेव को पहले हाईकोर्ट से केस वापिस लेने की शर्त रखी गई थी। चिट्ठी में राजस्व विभाग बाबा रामदेव के ट्रस्ट को लीज रद्द करने का फैसला वापिस लेने की शर्त व अन्य प्रक्रिया से अवगत करवाएगी।
ये था पूरा मामलाः पंतजलि योगपीठ को प्रेम कुमार धूमल के कार्यकाल में वर्ष 2010 में सोलन जिला के साधुपुल में करीब 21 एकड़ जमीन 99 साल के लिए लीज पर दी गई थी। पतंजलि ट्रस्ट यहां आयुर्वेद पर आधारित शोध केंद्र चलाना चाहती थी। कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के तुरंत बाद जमीन की लीज को रद्द कर दिया।
क्यों हुआ ये सारा ड्रामाः लीज रद्दीकरण के पीछे की स्थितियों काफी रोचक थी। दिल्ली में 2011 में रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के आंदोलन को यूपीए सरकार ने कुचल दिया था। गुस्साए बाबा ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हराने के लिए पूरे देश में अलख जगाई थी। बाबा से खार खाए बैठी कांग्रेस चार साल पहले हिमाचल में सत्ता में आ गई और आते ही जमीन की लीज रद्द कर दीया, जिसके खिलाफ पतंजलि ट्रस्ट मामला अदालत में ले गई।
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