E9 News, नई दिल्लीः अगर आप प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं तो आपको जल्द ही मोदी सरकार बड़ी खुशखबरी देने वाली है। नरेंद्र मोदी सरकार ने सिफारिश की है कि प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे लोगों को केंद्रीय कर्मचारियों की तरह अधिकतम 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी दी जाए। प्राइवेट सेक्टर में ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख रुपये है।
केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में फैसला लिया गया कि प्राइवेट सेक्टर में ग्रेच्युटी की सीमा को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख किया जाए। कैबिनेट से प्रस्ताव पास होने के बाद इसे बजट सत्र में पेश किया जाएगा। सातवें वेतन आयोग ने ग्रेच्युटी की सीमा 10 से बढ़ाकर 20 लाख करने की सिफारिश की थी। केंद्र सरकार के साथ-साथ कई राज्य सरकारें सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू कर चुकी हैं। अब इसे प्राइवेट सेक्टर में लागू करने पर सहमति बनी है।
कर्मचारी यूनियनों ने ग्रेच्युटी के भुगतान के लिये संस्थान में कम-से-कम 10 कर्मचारियों के होने और न्यूनतम 5 साल की सेवा की शर्तों को हटाने की भी मांग की है। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) ने कहा, अंतरिम उपाय के रूप में अधिकतम भुगतान सीमा 20 लाख रुपये करने को स्वीकार करते हुए यूनियनों ने कर्मचारियों की संख्या और सेवा वर्ष के संदर्भ में सीमा हटाये जाने की मांग की है।’
एटक के प्रतिनिधि डी. एल. सचदेवा ने बताया कि श्रमिक संगठनों ने ग्रेच्युटी की बढ़ी हुई सीमा को 1 जनवरी 2016 से लागू करने की मांग रखी है। किसी कंपनी में पांच साल तक नौकरी करने के बाद छोड़ने पर कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार हो जाता है। फिलहाल ग्रेच्युटी भुगतान कानून के तहत एक कर्मचारी ग्रेच्युटी के लिये उस समय पात्र होता है जब उसने न्यूनतम पांच साल की सेवा पूरी कर ली हो। साथ ही यह कानून ऐसे प्रतिष्ठानों में लागू होता है जहां कर्मचारियों की संख्या कम से कम 10 हो।
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