November 15, 2024

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बीजेपी सांसद ज्योति धुर्वे ने समिति को सौंपा आदिवासी होने का प्रमाण!

E9 News भोपाल: आदिवासी विकास विभाग के अंतिम नोटिस पर राज्य स्तरीय छानबीन समिति के सामने पेश हुईं, मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की बीजेपी सांसद ज्योति धुर्वे ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने खुद के आदिवासी होने के प्रमाण समिति के सामने रख दिए हैं। अब समिति को अंतिम निर्णय लेना है। 2009 में इसी सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े, बैतूल के एडवोकेट शंकर पेंद्राम और कांग्रेस प्रत्याशी ओझाराम इवने ने, धुर्वे के जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जो बाद में खारिज हो गई। समिति ने धुर्वे सहित 24 प्रकरण सुने हैं। सांसद धुर्वे समिति की बैठक के तय समय (दोपहर 3 बजे) से 15 मिनट पहले आदिवासी विकास विभाग के दफ्तर में पहुंच गई थीं, जबकि समिति के अध्यक्ष और आदिमजाति कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव अशोक शाह साढ़े तीन बजे पहुंचे। शाह के पहुंचने के 15 मिनट बाद सुनवाई शुरू हुई। सबसे पहले सांसद धुर्वे को बुलाया गया। वे करीब 25 मिनिट समिति के सामने रहीं। सांसद ने जाति प्रमाण पत्र, स्कूल के सर्टिफिकेट सहित अन्य दस्तावेज समिति के सामने रखे और लोकसभा चुनाव में प्रस्तुत जाति प्रमाण पत्र को सही ठहराया। यह पूछने पर कि आप बालाघाट की मूल निवासी हैं और पंवार जाति से ताल्लुक रखती हैं, तो सांसद धुर्वे चुप्पी साध गईं। बाद में उन्होंने इतना ही कहा कि मैं आदिवासी हूं और रहूंगी। उन्होंने बताया कि आरोपों को लेकर समिति ने जो दस्तावेज मांगे थे, सभी दे दिए हैं। हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि कौन से दस्तावेज दिए गए हैं। फर्जी जाति प्रमाण पत्र से लोकसभा चुनाव लड़ने का मामला सामने आने के बाद जाति की जांच के लिए राज्य स्तर पर गठित उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने जांच शुरू की। पिछले डेढ़ साल में समिति ने तीन नोटिस जारी किए, लेकिन सांसद ने अपना पक्ष नहीं रखा। तीन दिन पहले समिति ने चौथा नोटिस जारी किया और चेतावनी दी कि इसके बाद उनका पक्ष नहीं सुना जाएगा, तब सांसद समिति के सामने आईं। हालांकि कांग्रेस के बाद अब अखिल भारतीय गोंडवाना पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व विधायक मनमोहन शाह बट्टी ने सांसद धुर्वे पर लगे आरोपों को सही ठहराया है। उन्होंने धुर्वे के खिलाफ छानबीन समिति के समक्ष आपत्ति पेश की। जिसमें उनके जाति प्रमाण पत्र को गलत बताया। हालांकि समिति द्वारा प्रमाण मांगने पर वे कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सके। बट्टी ने बताया कि समिति की बैठक का अचानक पता चला। इसलिए प्रमाण नहीं दे पाया, लेकिन सांसद धुर्वे आदिवासी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी, तो वे इस मामले में हाईकोर्ट भी जाएंगे।