November 15, 2024

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बुरहान वानी की मौत के बाद आतंकी संगठनों में तेजी से शामिल हुए कश्मीरी युवा

E9 News, नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर में कम से कम 88 युवकों ने 2016 में आतंकवाद का रास्ता अपना लिया। यह 2010 के बाद से सबसे बड़ा आंकड़ा है। सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में यह जानकारी दी। हिजबुल आतंकी बुरहान वानी की पिछले साल 8 जुलाई को एनकाउंटर में हुई मौत के बाद घाटी में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ जुलाई से सितंबर 2016 के बीच ही हिंसा की 2100 से ज्यादा घटनाएं हुईं। बीते साल 88 कश्मीरी युवकों का आतंकवाद में जाने की घटना यह बताती है कि हालात कैसे बदल रहे हैं। 2014 के बाद युवाओं के आतंकवाद की राह पर जाने के मामलों में कमी आई थी। पिछले साल घाटी में पथराव की घटनाओं के बाद फैली अशांति के बाद आतंकी संगठनों द्वारा जिहादियों की भर्ती में 2010 के मुकाबले 55 पर्सेंट का इजाफा देखने को मिला।
एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने ने बताया कि 2015 में 66, 2014 में 53, 2013 में 16, 2012 में 21, 2011 में 23 जबकि 2010 में 54 कश्मीरी युवकों ने हिंसा का रास्ता अपनाया। अहीर के मुताबिक, युवाओं को आतंकवाद का रास्ता चुनने से रोकने के लिए बेहतर पुलिस-पब्लिक तालमेल के अलावा खेल प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसके अलावा, आतंकवाद का रास्ता छोड़ने वाले लोगों के लिए आकर्षक योजनाएं लाई जा रही हैं। इसके अलावा, ‘उड़ान’ और ‘हिमायत’ जैसे कार्यक्रमों के जरिए स्थानीय युवाओं के लिए नौकरियों के रास्ते खोले जा रहे हैं। एक इंटेलिजेंस अफसर के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के युवाओं का आतंकवाद की ओर जाने की बड़ी वजह वानी की मौत के बाद पैदा हुई स्थानीय भावनाएं हैं। बुरहान वानी के फेसबुक पोस्ट स्थानीय युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय थे। मंगलवार को लोकसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक, बुरहान वानी के खात्मे वाले महीने यानी जुलाई 2016 में ही ‘कानून-व्यवस्था’ से जुड़ी 820 घटनाएं दर्ज की गईं। इसके बाद अगस्त में 747 और सितंबर में 535 घटनाएं हुईं। दिलचस्प बात यह है कि 2016 में ही पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ के मामलों में भी तेजी आई। जहां 2015 में घुसपैठ की कोशिशों की 121 घटनाएं हुईं, वहीं यह तादाद 2016 में बढ़कर 371 हो गई।