E9 News लखनऊ: भारत सहित दुनियाभर के देशों में मुस्लिम महिलाओं के पहनावे पर अक्सर विवाद सामने आते रहते हैं। कुछ इसे रूढ़िवादिता बताता है तो कुछ की नजर में यह दकियानूसी परंपरा महिलाओं को बंधन में बांधने के लिए अबतक चलाई जा रही है। मगर नवाबों के शहर लखनऊ की एक युवती अपनी परंपराओं को संजो के रखती है। न सिर्फ वह बुर्के में रहती है बल्कि पर्दानशीं होने के बावजूद उसके हौसले हर मुस्लिम युवती के लिए एक मिसाल है। मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली इस युवती का नाम है आयशा, जिले लखनऊ में लोग ‘हिज़ाब क्वीन’ के नाम से भी जानते हैं। लखनऊ की सड़कों पर बाइक से फर्राटा भरने वाली आयशा के अनुसार जिस मुस्लिम औरतों के लिए हिज़ाब (बुर्का) उनकी पहचान से जुड़ा हुआ है। ये पहचान आज पूरी दुनिया में दिखाई देता है। हालांकि आयशा इसे बंधन नहीं मानतीं। आयशा के अनुसार, ”हम हिज़ाब पहनते हैं इसका मतलब यह नहीं कि हम बंधन में हैं, हिजाब हमें बंधन में नहीं बांधता, बल्कि हमारी नाकामयाबी के लिए हमारी सोच जिम्मेदार है।” आयशा मुस्लिम युवतियों और महिलाओं को संदेश देते यह भी कहती हैं कि जरूरी नहीं कि आगे बढ़ने के लिए हम आधुनिक कपड़ों में ही दिखें, ऐसी सोच खुद में एक दकियानूसी है। आगे बढ़ने के लिए हौसलें और सपने होने चाहिए। युवतियों को अन्याय का विरोध करना चाहिए, कपड़ों का नहीं। ग्रेजुएट तक की शिक्षा लेने वाली हिज़ाब क्वीन आयशा कहती हैं कि अधिकांश मुस्लिम युवतियों ने खुद को पिंजड़े में कैद कर के रखा है। जबकि वह पर्दे में रहकर भी आगे बढ़ सकती हैं। आयशा का कहना है, लड़कियों ने कहीं न कहीं खुद को एक पिंजड़े में बंद कर लिया है। आयशा का मानना है कि हर एक लड़की पर्दे में रहकर आगे बढ़ सकती है बस ज़रूरत है उन्हे अपनी सोच बदलने की। वो समाज की रूढ़िवादी सोच को गलत साबित कर सकती हैं कि वो बुर्के में बाइक तो क्या हिमालय पर भी चढ़ सकती हैं।
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