November 15, 2024

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भारतीय आईटी कंपनियों के लिए राहत, एच1 बी वीजा को लेकर ट्रंप नरम

E9 News, वाशिंगटनः एच1 बी वीजा को लेकर गर्म रवैया अपनाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपित डोनाल्ड ट्रंप बुधवार को कुछ नरम नजर आए. उनके शांत होने से भारतीय इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलाजी कंपनियों को फायदा पहुंचने वाला है. इक्नोमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक ट्रंप ने वीजा को लेकर बदलावों पर जोर नहीं दिया है. इसका जिम्मा उन्होंने अपने बड़े मंत्रियों पर छोड़ दिया है, जिन्हें निर्देश दिए गए हैं कि वे इसको लेकर ऐसे बदलाव करे जिससे इसका दुरुपयोग भी न हो और लाभ भी मिले. इससे पहले करीब 150 अरब डॉलर की आईटी इंडस्ट्री एच1 बी वीजा में बदलाव को लेकर परेशान थी. रिसर्च फर्म हॉर्सेज फॉर सोर्सेज के सीईओ फिल फर्श्ट के मुताबिक वीजा को लेकर जिम्मा मंत्रियों और ब्यूरोक्रेसी को दिए जाने के बाद ये आईटी इंडस्ट्री के लिए ‘बहुत अच्छी खबर’ है. दरअसल, अपने चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने इस वीजा के दुरुपयोग पर खासी नाराजगी जताई थी, लेकिन अब वे कड़े कदम नहीं उठाते दिख रहे हैं.
फर्श्ट ने कहा कि ट्रंप ने अमेरिका में स्किल्ड इंजिनियर का वेतन कम से कम 130,000 डॉलर रखने की बात की थी. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हो जाता तो ‘अमेरिका में इंडियन आईटी कंपनियों की प्रतिस्पर्द्धा करने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता.’ अमेरिका में काफी समय से ये बहस चल रही है कि एच1बी वीजा कानून का गलत इस्तेमाल हो रहा है और और खासतौर से भारत से बेहद कम वेतन पर लोगों को लाकर अमेरिकी नागरिकों को नौकरियों से वंचित किया जा रहा है. अमेरिकी सरकार हर साल 65,000 एच1बी वीजा लॉटरी के जरिए जारी करती है लेकिन कई आउटसोर्सिंग कंपनियों की इस बात के लिए आलोचना हो रही है कि वो भारी संख्या में वीजा आवेदन डालती हैं और ज्यादा से ज्यादा वीजा हासिल करके टेक्नॉलॉजी से जुड़ी निचले स्तर की नौकरियों में अपने लोगों को भर देती हैं. अमेरिकी आप्रवासन विभाग के अनुसार इस बार एच1बी वीजा आवेदकों की संख्या में 2016 के मुकाबले बड़ी गिरावट आई है. पिछले साल दो लाख छत्तीस हजार लोगों ने इसके लिए आवेदन पत्र भरे थे जबकि इस बार ये संख्या एक लाख निन्यानबे हजार थी. अंदाजा है कि वीजा नियम में इन बदलावों से कई भारतीय कंपनियों को खासा नुकसान हो सकता है.