E9 News,कानपुर: यदि पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान न दिया गया तो ग्लोबल वार्मिंग मौसम में बड़े परिवर्तन करने पर आमादा है. बेफिक्री यथावत रही तो वर्ष 2040 तक उत्तर प्रदेश में फरवरी-मार्च में ही मई और जून जैसी झुलसा देने वाली गर्मी सितम ढाने लगेगी. पिछले 35 सालों में फरवरी, मार्च व अप्रैल का तापमान औसतन एक डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है. ये नतीजा कानपुर से जुड़े रहे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गांधी नगर, गुजरात के सिविल इंजीनियरिग के प्रोफेसर विमल मिश्र ने पिछले 35 साल के तापमान पर शोध करके निकाला है. इसके लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश के दस बड़े शहरों में 1980 से 2015 तक फरवरी, मार्च व अप्रैल के तापमान का अध्ययन किया. पर्यावरण के स्वरूप में इसी तरह के परिवर्तन होते रहे और ग्लोबल वार्मिंग (भूमंडलीय तापमान में वृद्धि) को रोकने के कदम न उठाए गए तो आने वाले सालों में लोगों को असहनीय गर्मी का सामना करना होगा. मई व जून में कई शहर भट्ठी की तरह दहकेंगे. अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि पिछले 35 सालों में दुनिया में तेजी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है. इसीलिए मई से शुरू होने वाली गर्मी फरवरी के अंत से शुरू हो जाती है. इस बार मार्च में रिकॉर्ड (40 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक) तापमान दर्ज किया गया, जो सामान्य के मुकाबले इतना अधिक (तीन से चार डिग्री) रहा कि लोगों को मार्च में ही जून की लू का अहसास हुआ. कमोबेश यही स्थिति अप्रैल की है. अप्रैल में अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है. मई व जून में तापमान और बढ़ेगा. मानसून आने में भी देरी हो सकती है.
35 सालों में बढ़ा औसत तापमान :
शहर : फरवरी : मार्च : अप्रैल
कानपुर : 0.94 : 0.93 : 0.57
लखनऊ : 0.83 : 0.88 : 0.47
गाजियाबादः 0.83 : 0.88 : 0.80
आगरा : 0.98 : 1.17 : 0.59
मेरठ : 0.87 : 1.41 : 0.88
इलाहाबाद : 0.73 : 0.85 : 0.27
अलीगढ़ : 1.12 : 1.24 : 0.72
मुरादाबाद : 1.00 : 1.49 : 0.78
बरेली : 0.94 : 1.08 : 0.66
वाराणसी : 0.98 : 1.17 : 0.59
(तापमान डिग्री सेल्सियस में)
क्या हैं कारण :
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के मौसम विज्ञानी बताते हैं कि औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और जंगलों के कम होने से वायुमंडल में जमा हो रहे एरोसॉल व ग्रीन हाउस गैसें एक कंबल जैसा बना रही हैं, जिससे गर्मी नीचे की ओर आती है. इसी से तापमान बढ़ता है. कंक्रीट के जंगल बढ़ रहे हैं जो गर्मी को वातावरण में परावर्तित कर देते हैं. इसी से लगातार तापमान बढ़ रहा है.
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