E9 News नई दिल्ली/शिमला: राष्ट्रीय और राज्यों के राजमार्गों के 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों पर रोक के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार की मांग के मामले में राज्यों का रुख राजनीतिक आधार पर बंटा हुआ प्रतीत होता है, वहीं केंद्र ने आदेश का साफतौर पर समर्थन किया है। बता दें कि हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, सिक्किम, तेलंगाना, मेघालय और आंध्र प्रदेश ने उच्चतम न्यायालय से उसके फैसले में बदलाव की मांग की थी। केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी ने भी फैसले में बदलाव की मांग की। पढ़ें: ED ने गलत ढंग से सीज किया फार्म हाउस, विक्रमादित्य बोले, मैं सबूत देने को तैयार हूं बाद में आंध्र प्रदेश ने अपनी याचिका वापस लेते हुए कहा कि राज्य सरकार ने पिछले साल के निर्णय को स्वीकार कर लिया है। जिसके बाद अठारह राज्यों ने फैसले के खिलाफ कोई अर्जी दाखिल नहीं करना तय किया गया। केंद्र सरकार ने वरिष्ठ वकीलों अजीत कुमार सिन्हा और एके पांडा के माध्यम से स्पष्ट कहा था कि केंद्र सरकार 15 दिसंबर, 2016 को अदालत के इस फैसले के साथ है। वहीं, तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश हुए अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने राष्ट्रीय और राज्यों के राजमागोर्ं के 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानें हटाने के दिशानिर्देशों की आलोचना की थी। केरल सरकार ने आज कहा है कि वह उच्चतम न्यायालय से कुछ वक्त मांगेगी। सरकार का कहना है कि राज्य की विशेष परिस्थिति को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने व्यावसायिक कर विभाग के सचिव अशोक अग्रवाल की अध्यक्षता में 11 सदस्यीय समिति बनाने की योजना बनाई है जो उन राज्यों की आबकारी नीति का अध्ययन करेगी जहां शराब प्रतिबंधित है या निगरानी में बेची जा रही है। समिति के सदस्य गुजरात और बिहार का भी दौरा करेंगे जहां पूरी तरह शराबबंदी है।
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