E9 News, मुंबई (ब्यूरो) शिवसेना ने एक बार फिर से संघ प्रमुख मोहन भागवत को राष्ट्रपति बनाने की वकालत की है। मुखपत्र “सामना” में संपादकीय के जरिये पार्टी ने कहा कि भागवत के अतिरिक्त इस पद के लिए और कोई और व्यक्ति उपयुक्त नहीं है। संघ प्रमुख पहले ही राष्ट्रपति बनने की बात को खारिज कर चुके हैं, साथ ही शिवसेना ने संघ मुख्यालय को सत्ता का दूसरा केंद्र भी बताया। शिवसेना ने कहा कि विवादित ढांचा विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से कुछ मजबूत दावेदारों की राष्ट्रपति बनने की महत्वाकांक्षा पटरी से उतर सकती है। शीर्ष अदालत के फैसले से लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के खिलाफ विवादित ढांचा ध्वंस मामले में मुकदमा चलाने का रास्ता साफ हो गया है। शिवेसना ने संपादकीय में लिखा, “भाजपा पर नई पीढ़ी के नेताओं के नियंत्रण के बाद हो सकता है कि पार्टी में उनके (तीनों वरिष्ठ नेता) लिए ज्यादा काम न बचा हो। हालांकि, राष्ट्रपति चुनाव में उनके बाकी बचे महत्व को आंकने की कोशिशें शुरू हो चुकी हैं।”
जोशी और भागवत के बीच हाल में हुई मुलाकात का उल्लेख करते हुए शिवेसना ने कहा कि यदि संघ प्रमुख चाहें तो कुछ भी हो सकता है। संपादकीय के अनुसार, जोशी, भागवत से मिलकर कोई नया समीकरण तो नहीं बना रहे हैं? आज के दिन संघ का मुख्यालय देश में सत्ता का दूसरा केंद्र बन चुका है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है।
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