November 15, 2024

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सरकारें मनुवादी ताकतों के दबाव मेंः डेलीगेट

E9 News, कांगड़ा (वीके शर्मा) हिमाचल प्रदेश के अनूसूचित जाति एवं जनजाति के सरकारी कर्मचारी आरक्षण बचाने व संविधान के 85 वें संशोधन को लागू करने के लिये लामबंद हो गये हैं।  85 वें संविधान संशोधन को लागू करने में सरकार की ओर से की जा रही आनाकानी से इस तबके के कर्मचाारी नाराज हैं। सरकार चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की इस मामले में अभी तक कोई प्रगति नहीं हो पाई है।  यही वजह है कि अब इस तबके ने विरोधी शक्तियों को माकूल जवाब देने के लिये तैयारी शुरू कर दी है।
यहां हिमाचल प्रदेश अनूसूचित जाति, जनजाति सरकारी कर्मचारी कल्याण संघ के बैनर तले संपन्न प्रदेश स्तरीय बैठक में गहन मंथन किया गया। प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये करीब आठ सौ डेलिगेट ने भावी रणनिति तय करने के लिये हिस्सा लिया ।  इससे पहले आयोजित बैठक में वक्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकारें मनुवादी ताकतों के दवाब में हैं। व नौकरशाही  का रेवैया भी ठीक नहीं है। जिससे आरक्षित वर्ग को मिलने वाले सवंैधानिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।  आरोप लगाया गया कि तीन साल से पी मित्रा कमेटी की सिफारिशों पर कोई कार्रवाई नहीं होने जी जा रही है। न ही मित्रा कमेटी की सिफारिशों को अब तक सार्वजनिक किया गया है।   तीन साल पहले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के दखल के बाद तत्तकालीन मुख्य सचिव पी मित्रा की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी।  जिसे 85 वां संशोधन लागू करने में पेश आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिये सरकार को सुझाव देने थे। लेकिन इस मामले में कमटी की रिर्पोट को दबाया जा रहा है।  आरोप लगाया गया कि सरकार इस मामले में टालमटोल वाला रवैया अपना रही है।  जिससे अब आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों में रोष पनपा है।  बैठक में आरोप लगाया गया कि दोनों सरकारों का रवैया एक जैसा ही रहा है। चूंकि नौकरशाही इसमें रोड़े अटका रही है। वहीं आरोप लगाया गया कि अनूसूचित जाति एवं जनजाति के चुने हुये नुमाईंदे भी इस मामले में मूकदर्शक बने हैं।  आरोप लगाया गया कि सरकार 85 वें सविंधान संशोधन को लागू करने में बेवजह 177 वें संशोधन को साथ जोड़ रही है। जिससे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की मूल भावना को दबाया जा रहा है।  जबकि पदोन्नतियों में आरक्षण इस वर्ग का सवंैधानिक अधिकार है।  बैठक में आरक्ष्ण का बैकलाग पूरा करने , पदोन्नतियों में आरक्षण का लाभ देने व रोस्टर प्रणाली को लागू करने की मांग भी की गई।  कर्मचारी नेता सीता राम बंसल, ज्ञान चंद भाटिया  ने भी अपने विचार रखे।