E9 News, लखनऊः यूपी में बहुमत के साथ जीत का परचम लहराने वाली बीजेपी में अभी मुख्यमंत्री की तलाश चल रही इसी बीच अब मंत्री बनने के लिए भी होड़ शुरू हो चुकी है। आलाकमान भी इस मुद्दे पर विचार विमर्श करने में जुटी है कि जनता से मिले इतने शानदार बहुमत के साथ सरकार बनाने में किन-किन क्षेत्रों को तरजीह दी जाए। जानकारी के मुताबिक, मंत्रिमंडल में 60 मंत्रियों को शामिल किया जाना है। सालों से वनवास भुगत रही भाजपा के कई बड़े दिग्गज नेताओं ने इस बार चुनाव जीतें हैं। इस बार जीतने वालों में दिग्गज नेताओं की संख्या बहुत ज्यादा हो गयी है। ऐसे में आलाकमान की जिम्मेदारी है कि वो सबको साथ लेकर आगे बढ़े लेकिन इतनी भीड़ में नेताओं का चयन करना भी एक बड़ी चुनौती से कम नहीं। इतना ही नहीं भाजपा की मुश्किलें वो दिग्गज नेता भी बढ़ा रहें हैं जो दल बदलकर भाजपा में शामिल हुए हैं, उन्हें भी खुश रखना है। वैसे भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओमप्रकाश माथुर और प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि जो भाजपा के टिकट पर जीत गया वह हमारी पार्टी का है।
ऐसे में जाहिर है कि दूसरे दलों से आये कुछ दिग्गजों को मंत्रिमंडल में जगह जरूर मिलेगी। आर्थिक संभाग में बंटे चार हिस्सों में पश्चिम, पूर्वांचल, मध्य और बुंदेलखंड का प्रतिनिधित्व होना लाजिमी है। वैसे ही बुंदेलखंड में भी वाली भाजपा ने इस बार चारों तरफ कमल खिलाया है। जातीय स्तर पर पिछड़ों के साथ सवर्ण और दलितों की नुमाइंदगी भी एक अहम चुनौती है। भाजपा ने इस बार चुनाव में महिलाओं के साथ होने वाले अपराध को सबसे प्रमुख मुद्दा बनाया। जाहिर है कि महिलाओं को भी मंत्रिमंडल में भरपूर प्रतिनिधित्व मिलेगा। इतना ही नहीं युवाओं को भी मौका मिलने के आसार हैं। सबसे ज्यादा उम्मीद पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के जीते विधायकों ने लगा कर रखें हैं। उन्हें उम्मीद है कि पीएम इस बार वाराणसी की उपेक्षा नहीं करेंगे। मथुरा से जीते श्रीकांत शर्मा भाजपा के शीर्ष नेताओं के करीबी हैं। उनका नाम मुख्यमंत्री पद के लिए भी चल रहा है। बात नहीं बनी तो मंत्री बनना तय है। भाजपा अपने संगठन के कुछ प्रमुख नेताओं को भी मंत्रिमंडल में अवसर दे सकती है।
इन्हें मिल सकती है लालबत्ती: भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में सुरेश खन्ना, राधा मोहन दास अग्रवाल, हृदय नारायण दीक्षित, सतीश महाना, जयप्रताप सिंह, पंकज सिंह, सिद्धार्थनाथ सिंह, सूर्य प्रताप शाही, जगन प्रसाद गर्ग, धर्मपाल सिंह, राजेन्द्र सिंह उर्फ मोती सिंह, उपेन्द्र तिवारी, दल बहादुर, सत्यप्रकाश अग्रवाल, कृष्णा पासवान, राजेश अग्रवाल, श्रीराम सोनकर, वीरेन्द्र सिंह सिरोही, रमापति शास्त्री, अक्षयवर लाल जैसे कई लोगों को अलग-अलग समीकरण की वजह से मौका मिल सकता है।
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