E9 News,नैनीताल: पर्वतनुमा लघुग्रह रॉक जेओ-25 बुधवार शाम को धरती के बेहद करीब से गुजरा. करीब 340 किलोमीटर प्रति मिनट की रफ्तार वाला यह पिंड धरती से महज 18 लाख किलोमीटर की दूरी पर था. इस तरह के किसी भी एस्ट्रॉयड यानी पिंड का धरती के करीब आना काफी चिंताजनक माना जाता है. अब वैज्ञानिकों ने इस खगोलीय घटना का गहन अध्ययन शुरू कर दिया है. नैनीताल स्थित आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे ने बताया कि इस खगोलीय घटना पर वैज्ञानिकों की नजरें जमी हुई थीं. यह नियर अर्थ ऑब्जेक्ट है व इसका आकार लगभग 650 मीटर है. मूंगफली की तरह दिखने वाला यह चट्टानी पिंड बुधवार शाम तय समय छह बजे धरती के नजदीक से गुजरा. दुनिया की कई अंतरिक्ष वेधशालाओं ने रडार व दूरबीनों से इसका अध्ययन किया. गहन अध्ययन के बाद कई खगोलीय जानकारियां मिल सकेंगी. अब यह पिंड करीब दो हजार साल बाद गुजरेगा. वहीं अब अगला विशालकाय एस्ट्रॉयड 2027 में धरती के करीब से गुजरेगा. इसका नाम 1999 एएन 10 है. यह लगभग 800 मीटर का है. जब यह धरती के नजदीक से गुजरेगा तो यह धरती से महज चार लाख किलोमीटर दूर रहेगा.
इन्हीं पिंडों ने किया डायनासोर का अंत : अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अनुसार धरती को सबसे बड़ा खतरा सौर मंडल में बेखौफ मंडराते इन्हीं चटटनी पिंडों यानी एस्ट्रॉयड से है. इनकी तबाही के कई निशान धरती तथा चंद्रमा पर देखने को मिले हैं. डायनासोर जैसे विशाल आकार के जीवों के खात्मे के पीछे भी इन्हीं पिंडों को वजह माना जाता है.
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