E9 News, नई दिल्ली: 7वें वेतन आयोग पर कर्मचारी संघ खुश नहीं दिखाई दे रहा है। 7वां वेतन आयोग की रिपोर्ट पर कर्मचारी संघ आपत्ति जता रहे हैं। इससे पहले बता दें कि सातवें वेतन आयोग के गठन के बाद कर्मचारियों ने अपनी मांगे आयोग के सामने रखी थी लेकिन उनकी मांगें पूरी नहीं हुई और वेतन आयोग ने अपनी ओर से रिपोर्ट सरकार को सौंप दी। सरकार ने यह रिपोर्ट लागू भी कर दी। इसके बाद कर्मचारी संघों ने अपनी मांग सरकार के सामने रखी।
ऐसे में कोई रास्ता न निकलता देख केंद्रीय कर्मचारियों ने विद्रोह का बिगुल फूंक दिया है। कर्मचारियों ने 6 मार्च को काला दिवस मनाने की घोषणा की है जबकि 16 मार्च को हड़ताल की चेतावनी दी है। सरकार ने अभी तक इस मामले पर चुप्पी साधे हुई है। दरअसल विवाद कर्मचारियों के एचआरए की दर पर है। इससे पहले सरकार ने कर्मचारियों की मांगों पर 3 समितियां गठित की थी। इसमें से कर्मचारियों के एलाउंस के बीच जिस समिति के साथ कर्मचारियों की बातचीत हो रही थी उसकी अध्यक्षता वित्त सचिव अशोक लवासा कर रहे थे।
ऐसा कहा जा रहा है कि 22 फरवरी को इस समिति की अंतिम बैठक हुई थी। इस बैठक में कर्मचारियों के साथ आखिरी बार एलाउंस के मुद्दे पर बात हुई थी। इस बैठक में कर्मचारियों के संयुक्त संगठन एनजेसीए के 13 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। सूत्रों के मुताबिक समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंप दी है। हालांकि कुछ लोग कह रहे हैं कि अभी यह रिपोर्ट सरकार को नहीं दी गई है। दरअसल यह रिपोर्ट कैबिनेट बैठक में रखी जाएगी और कैबिनेट बैठक में ही फैसला लिया जाएगा।
ऐसे में कयास यह लगाए जा रहे हैं कि विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र सरकार इस पर निर्णय नहीं कर पा रही है और फैसला सरकार 8 मार्च के बाद ही घोषित करेगी। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसा भी माना जा रहा है कि समिति ने कर्मचारियों की मांग को मान लिया है और छठे वेतन आयोग के हिसाब से ही एचआरए की दर को स्वीकार किया है।
जबकि कर्मचारी संघों के नेताओं के सूत्र बता रहें हैं कि अभी सरकार की ओर से कुछ साफ नहीं है और ऐसी किसी बात पर सरकार से कोई बात नहीं हुई है। सातवां वेतन आयोग की रिपोर्ट 1 जनवरी 2016 से लागू की गई थी। कर्मचारी तभी से एचआरए की गिनती कर रहे हैं और तभी से एरियर की भी उम्मीद कर रहे हैं। यह बात भी अभी तक सरकार की ओर से कोई भी साफ नहीं की गई है। ऐसे में आशंका यह है कि सरकार इस बातचीत के बाद रिपोर्ट को लागू करने का फैसला कर सकती है यानि फिर यह फैसला 1 अप्रैल 2017 से लागू हो सकता है।
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