E9 News, नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी अपना चुनाव प्रचार नहीं कर पाएंगे। हाईकोर्ट ने चुनाव प्रचार के लिए अंसारी को 4 मार्च तक के लिए कस्टडी पैरोल देने के निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है। हाइकोर्ट ने चुनाव आयोग की याचिका पर यह फैसला दिया है।
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद चुनाव आयोग की उस याचिका पर 22 फरवरी को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था जिसमें अंसारी को जेल से बाहर न जाने देने की मांग की गई थी। आयोग ने अंसारी को निचली अदालत से मिली कस्टडी पैरोल को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने सोमवार को अपना फैसला देते हुए आयोग की मांग को स्वीकार कर लिया। हालांकि उन्होंने चुनाव आयोग की मांग पर 17 फरवरी को अंसारी को मिली पैरोल पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
अंसारी ने अपना पक्ष रखते हुए चुनाव आयोग की याचिका को खारिज करने की मांग की थी। आयोग ने निचली अदालत द्वारा अंसारी को 4 मार्च तक चुनाव में प्रचार करने के लिए कस्टडी पैरोल दिए जाने के फैसले को रद्द करने की मांग की थी। निवर्तमान विधायक अंसारी ने हाल ही में बसपा में शामिल हुए हैं और मउ विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं।
चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट को बताया था कि भाजपा विधायक कृष्णानंद की हत्या के मामले में सुनवाई का सामना कर रहे मुख्तार पैरोल मिलने पर गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में उन्हें जेल से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इस पर अंसारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आयोग पर पक्षपात करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा था कि महज गवाहों को प्रभावित करने की आशंकाओं को ध्यान में रखकर उनके मुवक्किल को पैरोल पर रिहा करने से नहीं रोका जा सकता है।
सिब्बल ने कहा था कि चुनाव आयोग को स्वतंत्र निकाय के तहत काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयोग सिर्फ विशेष परिस्थिति में ही इस तरह से अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। सिब्बल ने कहा कि उनका मुवक्किल मउ से चार बार विधायक चुने गए हैं और इस बात का हलफनामा दाखिल करने के लिए तैयार हैं कि आदेश की अवहेलना नहीं करेंगे। असांरी के इन दलीलों का चुनाव आयोग ने कड़ा विरोध किया है।
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