E9 News, नई दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी सांसद वरुण गांधी संसद में ऐसा बिल पेश करने जा रहे हैं जो काम ना करने वाले सांसदों-विधायकों के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है। इस बिल के मुताबिक, अगर किसी संसदीय या विधानसभा क्षेत्र के 70 फीसद मतदाता अपने सांसद-विधायक के खिलाफ वोट करें तो 2 साल के भीतर उन्हें वापस बुलाया जा सकता है।
वरुण का कहना है कि अगर लोगों के पास अपने जनप्रतिनिधियों को चुने जाने का अधिकार है तो खरा ना उतरने या गलत कार्यों में लिप्त रहने पर उन्हें वापस बुलाने का भी अधिकार मिलना चाहिए। वरुण का कहना है कि दुनिया के कई देशों में राइट टू रिकॉल कांसेप्ट लागू हो चुका है और भारत में ये लागू होना चाहिए।
लोकसभा में बीजेपी सांसद वरुण ने जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 में संशोधन के जरिए जन प्रतिनिधित्व अधिनियम संशोधन विधेयक 2016 का प्रस्ताव दिया है। विधेयक में प्रस्ताव है कि किसी क्षेत्र के एक चौथाई मतदाताओं की हस्ताक्षरयुक्त याचिका को लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष पेश कर राइट टू रिकॉल की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
वरुण गांधी के इस प्रस्तावित प्राइवेट मेंबर बिल के मुताबिक चुनाव आयोग हस्ताक्षरों की पुष्टि करेगा और सांसद या विधायक के क्षेत्र में 10 जगहों पर मतदान कराएगा। अगर जन प्रतिनिधि को वापस बुलाने के लिए तीन चौथाई मत पड़े तो सांसद-विधायक को वापस बुलाया जाएगा। नतीजा आने के 24 घंटे के भीतर स्पीकर इसकी सार्वजनिक अधिसूचना जारी कर देंगे और चुनाव आयोग खाली सीट पर उपचुनाव कराए।
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