E9 News, चंडीगढ़ः पंजाब में एससी/एसटी एक्ट 1989 के प्रावधानों को अब तक पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है। इससे जुड़ी एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के एससी आयोग सहित देश के 13 राज्यों के एससी-एसटी आयोग ने सुरक्षा व जनकल्याण से जुड़े राज्य के 6 विभागों को 15 दिन में एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। साथ ही आयोग ने अगले सप्ताह इन विभागें के उच्चाधिकारियों की बैठक बुलाने का भी फैसला किया है। जिसमें एक्ट के सभी प्रावधानों के क्रियान्वयन पर चर्चा होगी। सामाजिक संस्था नैशनल कैंपेन आन दलित हयूमन राइटस की ओर से केंद्र सरकार को प्रतिवादी बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसके जरिए कहा गया कि केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की सुरक्षा और उनके कल्याण के लिए साल 1989 में जो एक्ट बनाया था उसके प्रावधानों को कई राज्यों में आज तक भली प्रकार से लागू नहीं किया गया है। याचिका में मांग की गई कि एक्ट के प्रावधानों के अनुसार संबंधित राज्य मामले में विशेष अधिकारी, नोडल अधिकारी और प्रोटेक्शन सेल की स्थापना करे। इनमें नोडल अफसरों को यह अधिकार हो कि वे एससी-एसटी के मामले में किसी पुलिस अधिकारी द्वारा बरती गई लापरवाही, जिसमें एफआईआर रजिस्टर न करना या अधूरी एफआईआर दर्ज करना या मामलों की जांच डीएसपी रैंक से निचले स्तर के अधिकारी द्वारा करने पर एक्ट के अनुसार एक्शन ले सकें। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्ट्सि एल. नागेश्वर राव ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के एससी आयोग को एक्ट के सभी प्रावधानों को पूरी तरह लागू करने की हिदायत जारी करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्र्देश पर अमल करते हुए पंजाब राज्य एससी आयोग के चेयरमैन राजेश बाघा ने अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह एवं जेल विभाग, अतिरिक्त मुख्य सचिव न्याय विभाग, प्रमुख सचिव कल्याण विभाग, पंजाब पुलिस के महानिदेश, प्यूरो आफ इन्वेस्टीगेशन के निदेशक को नोटिस जारी करके एससी-एसटी एक्ट पर एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
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