E9 News, जयपुर (ब्यूरो) राजस्थान में अबतक रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल पर चले जाने के बाद मोर्चा सम्भालतें थे प्रदेश के सीनियर डॉक्टर्स। जो लम्बे समय से अपनी सेवायें एसएमएस अस्पताल को दे रहे हैं, लेकिन अबकी बार हड़ताल इन्हीं सीनियर डॉक्टर्स ने कर दी है। राज्य सरकार ने 7 मार्च को एक आदेश जारी कर मेडिकल ऑफिसर्स को मेडिकल कॉलेज टीचर्स के समकक्ष बना दिया है और करीब 50 मेडिकल ऑफिसरर्स अपना पदभार ग्रहण करने पहुंच गये। इसके बाद सभी सीनियर डॉक्टर लामबंद हो गये ओर उन्होंने अपने सामूहिक इस्तीफे की पेशकश राज्य सरकार को कर दी और आदेश वापस लेने की मांग रखी। मेडिकल अफसर को प्रोफेसर के बराबर करने के आदेश से खफा हुए एसएमएस में कार्यरत तमाम सीनियर डॉक्टर जो करीब 500 की संख्या में हैं, उन्होंने काम छोड़ दिया और बाहर आ गये।
रेजीडेंट से लेकर वार्ड ब्वॉय तक ने किया काम बंदः प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, सीनियर रेजीडेंट, रेजीडेंट और संविदा कर्मी (लैब टेक्नीशियन, कम्प्यूटर ऑपरेटर, प्रयोगशाला सहायक, वार्ड ब्वॉय, ट्रॉलीमैन, इलेक्ट्रीशियन, टेलीफोन ऑपरेटर हेल्पर) ने काम बंद कर दिया। आपके बता दे की ये वो डॉक्टर है जो अस्पताल के प्रशासन से लेकर विभागों के विभागाध्यक्ष पद पर भी हैं। ऐसे मे अगर इन डॉक्टर्स की मांग नहीं मानी जाती है तो सरकार के सामने बड़ी समस्या आ जायेगी।
सामूहिक इस्तीफे की चेतावनीः डॉक्टर्स ने चेतावनी दे दी है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गयी तो केवल हड़ताल ही नहीं, तमाम डॉक्टर सामूहिक इस्तीफे दे देंगे। ये डॉक्टर्स ना केवल मरीजों को देखने का काम करतें है बल्कि नये डॉक्टर्स को पढ़ाने और मरीजों के जटिल ऑपरेशन का काम भी करते हैं। डॉक्टरें की हड़ताल से मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा पहली बार हुआ है जब ओपीडी में एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं थे, जिसकी वजह से करीब 70 से ज्यादा मरीजों के ऑपरेशन भी नहीं हो सके।
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