E9 News, नई दिल्ली (ब्यूरो) मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- हमारे धर्म से जुड़ा है तलाक और एक से ज्यादा शादी का मामला, आप नहीं दे सकते दखलAIMPLB ने संविधान के आर्टिकल 25 का हवाला देते हुए कहा कि इसमें व्यक्तिगत कानून प्रावधानों को पवित्र माना गया है। ट्रिपल तलाक मामले पर अॉल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगर ट्रिपल तलाक को अवैध करार कर दिया जाता है तो यह अल्लाह के निर्देशों की अनदेखी और पवित्र कुरान को फिर से लिखने जैसा होगा। AIMPLB ने संविधान के आर्टिकल 25 का हवाला देते हुए कहा कि इसमें व्यक्तिगत कानून प्रावधानों को पवित्र माना गया है। उन्होंने कहा कि अगर पवित्र पुस्तक के छंदों की एेसे निंदा होती रही, तो जल्द ही इस्लाम खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हालांकि ट्रिपल तलाक इस्लाम में तलाक का एक असामान्य तरीका है, लेकिन इसे अवैध करार नहीं दिया जा सकता, क्योंकि यह कुरान में लिखा है। TOI की रिपोर्ट के मुताबिक कुरान में ट्रिपल तलाक को अनिवार्य बताते हुए AIMPLB ने इस मामले की सुनवाई से तीन दिन पहले अपने लिखित जवाब में कहा, पवित्र किताब के मुताबिक तीन बार तलाक कहने के बाद पत्नी अपने पूर्व पति के लिए गैरकानूनी हो जाती है, जब तक कि ‘हलाला’ की प्रक्रिया अपने प्राकृतिक स्वरूप में न हो। जवाब में कहा गया कि ट्रिपल तलाक को कुरान में स्थिरता साफ तौर पर दी गई है। उन्होंने कहा कि तलाक के बाद वह शख्स महिला से दोबारा शादी नहीं कर सकता, जब तक कि महिला अपनी पसंद के किसी और शख्स से शादी न कर ले और फिर वह शादी पति की मौत या तलाक के कारण खत्म न हो जाए। AIMPLB के वकील एजाज मकबूल ने कहा है कि इसका मकसद एक तलाकशुदा महिला को दोबारा अपनी मर्जी से शादी करने का अधिकार देना है।
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