November 15, 2024

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भारतीय महिलाओं को 1,500 डॉलर की छात्रवृत्ति देगी अमेरिकी संस्था

E9 News, नई दिल्ली (ब्यूरो) अंतरराष्ट्रीय शिक्षा और वैश्विक निवेश बैंकिंग क्षेत्र की एक शीर्ष संस्था ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़े क्षेत्रों से शिक्षा प्राप्त करने वाली भारतीय महिलाओं को छात्रवृत्ति देने और उनके लिए मेंटरिंग कार्यक्रम चलाने की घोषणा की है। इसका लाभ विश्वविद्यालय स्तर की छात्राओं को मिलेगा। कल जारी एक बयान के मुताबिक, इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन और गोल्डमैन सॉक्स की ओर से घोषित ‘वीटेक गोल्डमैन सॉक्स स्कॉलर्स’ छात्रवृत्ति के तहत 25 भारतीय महिलाओं को शैक्षणिक सत्र 2017-18 में मेरिट के आधार पर 1,500 डॉलर दिए जाएंगे। उन्हें जून से दिसंबर 2017 तक छह महीने के मेंटरशिप कार्यक्रम के तहत गोल्डमैन सॉक्स के अनुभवी मेंटर के साथ जोड़ा जाएगा।
बेंगलुरू में गोल्डमैन सॉक्स के प्रौद्योगिकी विभाग की प्रबंध निदेशक शुभा अय्यर ने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दिखने वाली लैंगिक असमानता से निपटने की दिशा में महिलाओं को शिक्षण वर्षों से लेकर करियर तक विभिन्न स्तरों पर इससे जोड़ना महत्वपूर्ण कदम है।’’ इस छात्रवृत्ति के विजेताओं की घोषणा जून में की जाएगी। बता दें कुछ समय पहले ओपन डोर्स 2016’ नामक की रिपोर्ट के एक सर्व में दावा किया गया था कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों के आवेदनों की संख्या में तेज कमी देखी गई है। अमेरिका के 250 से अधिक कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में किए गए सर्वेक्षण के प्रारंभिक नतीजों के अनुसार, इस बार पंजीकरण करवाने वाले भारतीय छात्रों के अंडरग्रेजुएट आवेदनों में 26 प्रतिशत की और ग्रेजुएट आवेदनों में 15 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह सर्वेक्षण अमेरिका के छह शीर्ष उच्च शिक्षा समूहों ने किया। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्र पंजीकरण में भारत और चीन के छात्रों की हिस्सेदारी 47 प्रतिशत की है। अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय और चीनी छात्रों की संख्या लगभग पांच लाख है। सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, अंडरग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश के लिए चीनी छात्रों की ओर से आने वाले आवेदनों में 25 प्रतिशत और ग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश के लिए आने वाले आवेदनों में 32 प्रतिशत की गिरावट आई है। भारतीयों छात्रों का अमेरिका के विश्वविद्यालयों में कमी का आना दिखाता है कि ट्रंप के सत्ता में आने के बाद भारतीय छात्रों के आवेदन में कमी देखी गई थी। कुछ लोगों ने इसके लिए नोटबंदी को जिम्मेदार ठहराया तो वहीं कुछ लोग ने ट्रंप के प्रशासन को इसके लिए जिम्मेदार माना।