E9 News भोपाल: अमूमन पीएम मोदी की किसी योजना पर कांग्रेस या उसके नेता राहुल गांधी सवाल उठाते हैं। पर, इस बार एक आइएएस ने उनके ‘खुले में शौचमुक्त भारत अभियान’ पर सवाल उठाया है। भारतीय परिवेश में इस योजना की प्रासंगिकता पर बोला है। ये सवाल उन्होंने एक अप्रैल को ही उठाया था। लगभग हफ्ता बीतने को है, लेकिन किसी भी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इससे पहले भी मध्यप्रदेश सरकार के आईएएस अपने बयानों और कारनामों से शिवराज सरकार को आए दिन मुसीबत में डालते रहे हैं। अब मध्यप्रदेश सरकार की एक महिला आईएएस ने एक अंग्रेजी अखबार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘खुले में शौचमुक्त भारत अभियान’ पर सवाल खड़े कर दिये हैं। उन्होंने अखबार में लिखे अपने आर्टिकल में न सिर्फ खुले में शौचमुक्त भारत अभियान के तहत बनाए जा रहे शौचालयों को अप्रांसगिक बताया है, बल्कि घर में शौचालय बनाने की सोच को पश्चिमी देशों की अवधारणा बताया है। जहां देश के ज्यादातर इलाके पानी की भारी समस्या से जूझ रहे हैं, तो ऐसे में घर में शौचालय बनाना कितना जायज है? महिला आईएएस के इस लेख के बाद मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट और मध्यप्रदेश को ओडीएफ करने में युद्ध स्तर पर काम कर रही प्रदेश सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। अभी तक स्वच्छ भारत अभियान और खुले में शौच मुक्त भारत जैसे अभियानों को लेकर वाहवाही लूट रही मोदी और शिवराज सरकार पर मध्यप्रदेश में अहम पद पर पदस्थ एक महिला आईएएस ने सवाल खड़े किये हैं। मध्यप्रदेश सरकार के आदिम जाति कल्याण विभाग में आयुक्त दीपाली रस्तोगी ने इंटरव्यू में ओडीएफ पर कई सवाल उठाये हैं। ये सवाल सियासी या भ्रष्टाचार जैसे पहलू पर नहीं, बल्कि पूरे देश की बुनियादी सुविधाओं की स्थिति को लेकर खड़े किये हैं। दीपाली रस्तोगी ने देश और प्रदेश की मौजूदा स्थितियों पर बात करते हुए खुले में शौचमुक्त भारत अभियान (ओडीएफ) को पूरी तरह अप्रासंगिक बताया है। उन्होंने यह इंटरव्यू एक अप्रैल को दिया था। तब से लेकर आज तक इस संबंध में पीएम मोदी, सीएम शिवराज और भाजपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। महिला आईएएस दीपाली रस्तोगी के आर्टिकल ‘सम वाशरुम विसडम’ में लिखा है कि घर में शौचालय बनाने की अवधारणा पश्चिमी देशों से आई है। पश्चिमी देशों में शौचालयों में पानी की जगह टीशू पेपर का इस्तेमाल होता है। वहां पर पानी की कोई कमी नहीं है। भारत में आज भी कई गांव पानी के लिए परेशान हैं। ज्यादातर ग्रामीण अंचलों में नल या पानी का इंतजाम नहीं है। उन्होनें शहरों की आबादी को लेकर भी सवाल खड़े किये हैं। शहरों की ज्यादातर झुग्गी-बस्तियों में पानी की जरुरतें सार्वजनिक नलों से पूरी होती है। उन्होंने देश के ग्रामीण और शहरी अंचलों में पानी की समस्या पर सवाल उठाया और देशभर में चलाये जा रहे शौचालय बनाने के अभियान और शौचालय की उपयोगिता पर सवाल खड़े किये हैं। उन्होंने लिखा है कि पश्चिमी देशों में पर्याप्त पानी की व्यवस्था होती है। फ्लश का उपयोग शौच में होता है, लेकिन देश में बनाए जा रहे शौचालयों में फ्लश की कोई व्यवस्था नहीं है।
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