E9 News शिमला: हिमाचल उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपने पति को त्यागने वाली महिला अपने पति से उस अवधि के लिए गुजारेभत्ते का दावा नहीं कर सकती जब वह अदालत द्वारा तलाक मंजूर होने से पहले अलग रह रही थी। शीर्ष अदालत दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 से जुड़े मामले पर गौर कर रही थी जिसमें मजिस्ट्रेट अदालत पति, बच्चो और माता पिता के गुजारेभत्ते का आदेश दे सकती है। मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कानूनी प्रावधान का जिक्र किया और कहा कि अगर महिला जारकर्म में रह रही है या उसने बिना किसी पर्याप्त कारण के अपने पति का त्याग किया है या वह आपसी सहमति से अलग रह रही है तो महिला अपने पति से गुजाराभत्ता पाने की हकदार नहीं है। तलाक के आदेश के बाद ही वह मुआवजे की हकदार होगी।अदालत हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ एक व्यक्ति की अपील पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय ने सत्र अदालत के महिला को तीन हजार रूपये प्रति माह का गुजाराभत्ता मंजूर करने के आदेश को बरकरार रखा था।
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