E9 News लखनऊ: उत्तर प्रदेश के अधिकारियों में इन दिनों जिलाधिकारी बनाए जाने का मोह पूरे शवाब पर है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि ताजा मामला सेवाकाल के दौरान मध्यावधि प्रशिक्षण के कार्यक्रम से जुड़ा हुआ है, जिसमें यूपी के अफसरों की तनिक भी रुचि नहीं दिख रही। प्रदेश में नई सरकार बनी है तो जाहिर है सूबे के 75 जिलों में पुरानों की विदाई, नये को नियुक्ति के अवसर भी मिलेंगे। ऐसे में कोई भी अफसर गंगा के मैदानी इलाकों को छोड़ मसूरी की वादियों में स्थित ट्रेनिंग सेंटर जाने का जोखिम नहीं लेना चाहता। आइए विस्तार से समझते हैं। दरसअल, आईएएस अधिकारियों के लिए उत्तराखंड के मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (LBSNAA) में मध्यकालीन प्रशिक्षण की व्यवस्था होती है। भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने यूपी कैडर के 2003 से 2009 बैच के 47 आईएएस अफसरों को इस ट्रेनिंग में शामिल होने के लिए पत्र भेजा था, जिसके बाद उन्हें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना था। प्रशिक्षण 10 अप्रैल से शुरू हो कर 5 मई तक चलेगा। मगर, प्रदेश में होने वाले प्रशासनिक फेरबदल पर निगाह गड़ाये अफसरों को फिलहाल ट्रेनिंग में जरा भी रुचि नहीं है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि चुने गये 47 अफसरो में से मात्र 13 अधिकारियों ने ही इस ट्रेनिंग के लिए अपनी दिलचस्पी दिखाई है।2003 से 2009 बैच के ये अफसर जिलों में कलेक्टर पद पर तैनाती के लिए अर्हता रखते हैं। इससे यही अंदाजा लगता है की आईएएस संवर्ग के वे 34 अधिकारी जिन्होंने इस विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम के आवेदन में दिलचस्पी नहीं दिखाई है उनकी निगाह या तो जिलाधिकारी पद पर बने रहने पर है या फिर बनने की दौड़ में शामिल होना चाहते हैं।
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