E9 News, इस्लामाबादः पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिन्दुओं की शादियों के नियमन से जुड़े बहुप्रतीक्षित अहम विधेयक को सीनेट ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया है और अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून में तब्दील हो जाएगा। हिन्दू विवाह विधेयक 2017 को कल सीनेट ने पारित कर दिया। यह हिन्दू समुदाय का पहला विस्तारित पर्सनल लॉ है। निचला सदन या नेशनल असेम्बली विधेयक को 15 सितंबर 2015 को पहले ही मंजूरी दे चुकी है और कानून का रूप लेने के लिए इसे केवल राष्ट्रपति के दस्तखत की दरकार है जोकि मात्र एक औपचारिकता है। डॉन न्यूज ने खबर दी है कि पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दू इस विधेयक को व्यापक तौर पर स्वीकार करते हैं क्योंकि यह शादी, शादी के पंजीकरण, अलग होने और पुनर्विवाह से संबंधित है। इसमें लड़के और लड़की दोनों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल तय की गई है।
इस विधेयक की मदद से हिन्दू महिलाएं अब अपने विवाह का दस्तावेजी सबूत हासिल कर सकेंगी। यह पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए पहला पर्सनल लॉ होगा जो पंजाब, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में लागू होगा। सिंध प्रांत पहले ही अपना हिन्दू विवाह विधेयक तैयार कर चुका है।
विधेयक को सीनेट में कानून मंत्री ज़ाहिद हमीद ने पेश किया जिसका किसी ने विरोध नहीं किया। यह इसलिए हुआ क्योंकि प्रासंगिक स्थायी समितियों में सभी सियासी पार्टियों के सांसदों ने हमददीर् वाला नजरिया जाहिर किया था। सीनेट फंक्शनल कमेटी ऑन हयूमन राइटस ने दो जनवरी को जर्बदस्त बहुमत के साथ विधेयक को मंजूरी दी थी।
हिन्दू मैरिज बिल 2017 की 10 खास बातें-
1. यह बिल पाकिस्तान में हिन्दुओं के लिए पहला पर्सनल ला होगा।
2. पाकिस्तान की हिन्दु महिलाओं को अब उनकी शादी का प्रमाणपत्र मिल सकेगा। यानी हिन्दू यहां अपनी शादी को पंजीकृत करा सकेंगे।
3. यह बिल पाकिस्तान के पंजाब, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में लागू होगा, इससे पहले सिंध प्रांत में पहले ही हिन्दू विवाह कानून बन चुका है।
4. इस बिल से पाकिस्तान में हिन्दु महिलाओं के जबरन धर्मान्तरण कराने पर रोक लगेगी।
5. इस बिल के प्रावधान के अनुसार, शादी के वक्त जोड़े की उम्र 18 साल से अधिक होनी चाहिए।
6. हिन्दू विधवा पति की मृत्यु के छह महीने बाद दूसरी शादी करने का अधिकार होगा।
7. पहली पत्नी के होते हुए कोई हिन्दू दूसरी शादी करेगा तो इसे दंडनीय अपराध माना जाएगा।
8. कानून का उल्लंघन करने वाले को छह महीने की सजा का होगी।
9. कानून में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों व सुरक्षा की भी व्यवस्था की गई है।
10. पति पत्नी अगर एक साल से अलग रह रहे हैं और शादी तोड़ना चाहते हैं तो वह अपनी शादी तोड़ सकेंगे।
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