E9 News शिमला: देरी से न्याय मिलना एक तरह से न्याय न मिलने के समान है। देवभूमि हिमाचल प्रदेश में दुष्कर्म का शिकार एक नाबालिग को न्याय मिलने में 28 साल का अरसा लग गया। जिस समय नाबालिग के साथ गैंगरेप हुआ, वो महज साढ़े पंद्रह साल की थी। अब उसे न्याय मिला तो वो अधेड़ हो चुकी है और उसके बच्चे भी बड़े हो गए हैं। इस दौरान उसने न जाने कितना मानसिक संताप झेला होगा, इसकी पीड़ा वही जानती है। हद तो ये है कि गैंगरेप के दो आरोपी अभी भी फरार हैं। एक की मौत हो गई और एक को सजा का ऐलान होना बाकी है। मनाली में 8 जुलाई 1989 को एक नाबालिग से नौ लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया। मामला इस कदर गवाहों के बयानों और अदालती कार्रवाई में उलझा कि दोषियों को 28 साल बाद सजा मिली। हैरानी की बात है कि पांच दोषियों को महज तीन-तीन साल की सजा ही मिली है। आरोपियों में से एक चुन्नी लाल पर अभी हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। चुन्नी लाल की उम्र इस समय 69 साल की है। जिन दोषियों को सजा मिली है, उनमें से कइयों के पोते हो चुके हैं। ये मामला दिखाता है कि कैसे देश की अदालतों में जटिल और पेचीदा कार्रवाइयों के कारण न्याय का इंतजार दशकों तक खिंच जाता है।
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