November 15, 2024

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खत्म होई फसलां दी राखी, जट्टा आई बैसाखी

E9 News चंडीगढ़: बैसाखी का पर्व सिखों और हिन्‍दुओं का प्रमुख त्‍यौहार है। बैसाखी शब्‍द दरअसल संस्‍कृत ‘विशाखा’ का अपभ्रंश है। उत्‍तर भारत खासकर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पश्‍चिमी उत्‍तर प्रदेश के किसान इस दिन गेहूं की फसल की कटाई के बाद सामूहिक उत्‍सव मनाते हैं। यही नहीं इसी दिन सिखों के दशम गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्‍थापना की थी और पंच प्‍यारों का चुनाव भी किया था। भारत के अन्‍य सभी त्‍यौहारों की भांति बैसाखी का त्‍यौहार भी पूरे जोश-खरोश से मनाया जाता है। आइए जानते हैं क्‍या कुछ खास होता है इस दिन। बैसाखी के दिन सुबह 4 बजे गुरु ग्रंथ साहिब को समारोह पूर्वक कक्ष से बाहर लाया जाता है। दूध और जल से प्रतीकात्मक स्नान करवाने के बाद गुरु ग्रंथ साहिब को तख्त पर बैठाया जाता है। इसके बाद पंच प्यारे ‘पंचबानी’ गाते हैं। दिन में अरदास के बाद गुरु को कड़ा प्रसाद का भोग लगाया जाता है। बैसाखी के दिन पूरे देश में श्रद्धालु गुरुद्वारों में अरदास के लिए इकट्ठे होते हैं। मुख्य समारोह आनंदपुर साहिब में होता है, जहां खालसा पंथ की नींव रखी गई थी।