E9 News नई दिल्ली: हमारे जवानों की वीरता की, देश रक्षा के संकल्प की ये 33 साल पुरानी कहानी है। ये वो कहानी है जिसमें भारतीय सेना ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा लहरा दिया था। इस कहानी का कोड नेम था ‘ऑपरेशन मेघदूत’। भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन मेघदूत’ के जरिए दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर हिंदुस्तान का नाम लिख दिया था। साल 1984 की बात है, पाकिस्तान समझौतों के बाद भी कब्जे की फिराक में था। जिसके बाद भारतीय सेना ने सियाचिन ग्लेशियर को जीतने के लिए ‘ऑपरेशन मेघदूत’ को लॉन्च किया गया था। ये हमारे जवानों के शौर्य, उनकी वीरता की मिसाल बन गई और दुश्मन भी ये समझ गया कि हमारी जांबाजी के आगे उनकी एक नहीं चलेगी। सियाचिन भारत और पाकिस्तान के लिहाज से बेहद खास माना जाता है। सियाचिन पाकिस्तान और चीन के साथ दो विवादित सीमाओं को झुकाता है, यह उत्तर पश्चिम भारत में काराकोरम रेंज में स्थित है। सियाचिन ग्लेशियर 76.4 किमी लंबा है और इसमें लगभग 10,000 वर्ग किमी निर्जन क्षेत्र शामिल हैं। साल 1974 में युद्ध विराम और समझौतों के बाद भी पाकिस्तान ने सियाचिन ग्लेशियर में पर्वतारोहण अभियानों की अनुमति देना शुरू कर दिया। साल 1983 आते-आते तक भारत को लग गया कि पाकिस्तान पर लगाम जरूरी है और सियाचिन पर नजर बनाए रखना होगा। जिसके बाद 1984 में भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन मेघदूत’ चलाया। 13 अप्रैल 1984 यानि उस साल आज के ही दिन कैप्टन संजय कुलकर्णी की अगुआई में कुमाऊं रेजीमेंट ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी सियाचिन पर पहला भारतीय झंडा लगा दिया। हमारे देश के असली नायकों को सलाम है। सलाम है उनकी वीरता को और शौर्य को।
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