November 15, 2024

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नहीं मिले ठेकेदार, अब शराब के ठेके खुद चलाएगी हिमाचल सरकार

E9 News, शिमला (कीर्ति कौशल)  बिहार मॉडल पर देश के कई राज्यों में बेशक शराब बंद करने की मांग उठ रही है, लेकिन हिमाचल में सरकार न केवल शराब का कारोबार खुद कर रही है, बल्कि तीन जिलों में ठेके भी खुद चलाएगी। प्रदेश के तीन जिलों ऊना, चंबा व किन्नौर में शराब बेचने के लिए ठेकेदार ही नहीं मिले। यहां शराब दुकानें नहीं बिक पाई हैं। ऐसे में सरकार ने खुद ही तीन जिलों में ठेके चलाने का फैसला किया है। राज्य सरकार के आबकारी व कराधान मंत्री प्रकाश चौधरी के अनुसार हिमाचल के अन्य जिलों में तो शराब की दुकानें बिक गई हैं, लेकिन तीन जिलों में दुकानें नहीं बिक पाई हैं। यहां बता दें कि हिमाचल में राज्य सरकार शराब का कारोबार खुद करती है। इसके लिए सरकार ने हिमाचल प्रदेश बीवरेजिज लिमिटेड नाम से कंपनी बनाई है। राज्य में कुल 1805 शराब की दुकानें हैं, इसमें 1014 दुकानें खुली हैं और अदालत के आदेश के बाद कुल 795 दुकानें बंद हुई थी। ऐसी दुकानों को स्थानांतरित करके खोला गया है। सुप्रीम कोर्ट के नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे से ठेके हटाने से प्रदेश को नुकसान हुआ है। हिमाचल में स्टेट हाइवे का दर्जा घटाए जाने पर प्रकाश चौधरी का मानना है कि अन्य राज्य में नेशनल हाइवे सहित स्टेट हाइवे डी-नोटिफाई किए हैं। हिमाचल में 1 जुलाई से जीएसटी (गुड्स सर्विस टैक्स) लागू किया जाएगा। इसे लागू करने से पहले सभी प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा हिमाचल सहित स्पेशल विशेष दर्जा प्राप्त राज्य को जीएसटी लागू होने से लाभ होगा।
उल्लेखनीय है कि हिमाचल सरकार ने शराब ठेकों की नीलामी से तीन सौ करोड़ रुपए की कमाई की थी। पहले पर्चियों पर ही ठेके नीलाम हो जाते थे। उससे सरकार को राजस्व का नुकसान होता था। फिर सरकार ने राजस्व की बढ़ोतरी के लिए खुद ही शराब का थोक कारोबार अपने हाथ में ले लिया। इसके लिए बाकायदा कंपनी बनाई गई है। हिमाचल का राजस्व का बड़ा हिस्सा शराब कारोबार से मिलता है। यही कारण है कि सरकार ने दर्जनों स्टेट हाईवे को डी-नोटिफाई कर एमडीआर यानी मेजर डिस्ट्रिक्ट बनाया है, ताकि उन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर न पड़े।