E9 News, नई दिल्ली (ब्यूरो) सुप्रीम कोर्ट ने बिहार एवं उत्तर प्रदेश समेत छह राज्यों में पुलिस बल में बड़ी संख्या में रिक्त पदों पर सोमवार को गहरी चिंता जतायी. कोर्ट ने इन राज्यों के गृह सचिवों से व्यक्तिगत रूप से पेश होने या एक अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया, ताकि वे इस मामले में उसकी मदद कर सकें. प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में रिक्तियों का जिक्र करते हुए गृह सचिवों या उनके द्वारा अधिकृत अधिकारियों को इस मामले में उसकी मदद करने के लिए शुक्रवार को तलब किया. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि गृह सचिवों द्वारा अधिकृत अधिकारियों का रैंक संयुक्त सचिव पद से नीचे नहीं होना चाहिए. न्यायमूर्ति डीवाइ चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एसके कौल भी इस पीठ में शामिल हैं. पीठ ने कहा कि आंकड़े, जो खासकर वर्ष 2013 से संबंधित हैं, संकेत देते हैं कि विभिन्न राज्यों में पुलिस बल में ड़ी संख्या में पद रिक्त हैं. देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा, ‘हम रिक्तियों पर भरती की निगरानी का प्रयास करते हैं.’ उसने कहा कि बिहार में 40,000 और उत्तर प्रदेश में 1.5 लाख से अधिक पद रिक्त हैं. झारखंड में भी करीब 23.4 फीसदी पद रिक्त हैं. न्यायालय ने छह राज्यों से कहा कि वे खाका तैयार करें कि रिक्त पदों पर भरती की कोशिश किस तरह से करेंगे. न्यायालय ने मनीष कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए मामले की अगली तारीख 21 अप्रैल को तय की है. ज्ञात हो कि देश में 22.8 लाख पुलिस बल होना चाहिए, लेकिन जनवरी, 2014 तक 5.6 लाख पद रिक्त थे. यानी पुलिस बल में 25 फीसदी रिक्तियां हैं. यह आंकड़ा संसद में सरकार की ओर से रखा गया था. इसे विडंबना ही कहेंगे कि समस्या की जानकारी होने के बावजूद इसे दूर करने की दिशा में गंभीर प्रयास नहीं हो रहे हैं.
पुलिस बल में रिक्त पद
बिहार : 34.1 फीसदी
झारखंड : 23.4 फीसदी
पश्चिम बंगाल : 27.8 फीसदी
उत्तर प्रदेश : 54.2 फीसदी
गुजरात : 36.7 फीसदी
हरियाणा : 33.3 फीसदी
कर्नाटक : 32.6 फीसदी
मणिपुर : 22.6 फीसदी
राजस्थान : 22.3 फीसदी
सिक्किम : 20.6 फीसदी
छत्तीसगढ़ : 19.4 फीसदी
तमिलनाडु : 17.9 फीसदी
आंध्रप्रदेश : 17.7 फीसदी
गोवा : 16.8 फीसदी
असम : 14.5 फीसदी
मध्यप्रदेश : 14.5 फीसदी
त्रिपुरा : 13.9 फीसदी
मेघालय : 13.8 फीसदी
उत्तराखंड : 13.5 फीसदी
मिजोरम : 12.2 फीसदी
ओड़िशा : 12.0 फीसदी
हिमाचल प्रदेश : 11.9 फीसदी
दिल्ली : 7.9 फीसदी
जम्मू और कश्मीर : 7.9 फीसदी
पंजाब : 7.7 फीसदी
केरल : 7.6 फीसदी
महाराष्ट्र : 7.3 फीसदी
नगालैंड : 1.0 फीसदी
(आंकड़े 01.01.2014 तक के, स्रोत : गृह मंत्रालय, भारत सरकार)
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