E9 News, नई दिल्ली (ब्यूरो) सोमवार को एक शीर्ष कॉर्पोरेट ट्राइब्यूनल ने साइरस मिस्त्री की परिवार से जुड़ी दो कंपनियों की टाटा संस के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी। इस याचिका में मिस्त्री पर लगे नियामकीय प्रतिबंधों को हटाया जाए ताकि वे टाटा संस के खिलाफ अपने कानूनी मुकदमा जारी रख सकें। इसके अतिरिक्त, टाटा संस के खिलाफ दायर की गई मुख्य याचिका को भी खारिज कर दिया गया। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने मिस्त्री की निवेश कंपनियों (साइरस इंवेस्टमेंट एंड स्टर्लिंग इनवेस्टमेंट कॉर्प) की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया। 21 फरवरी यानी शुक्रवार को इस पर फैसला सुनाया जाएगा। इन्होंने कंपनी में कुप्रबंधन और अल्पांश शेयरधारकों की आवाज दबाने का इल्जाम लगाया था। याचिका में NCLT से आग्रह किया गया था कि वह अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुये उस पात्रता शर्त को हटा दे जो कि इस तरह की याचिका को दायर करने के लिये जरूरी की गई है।
खबरों के मुताबिक, सिर्फ 10% शेयर की भागीदारी रखने वाला शेयरधारक ही NCLT में मॉयनॉरिटी इंटरेस्ट पिटीशन दाखिल कर सकता है। हालांकि, कंपनी अधिनियम, NCLT को याचिकाकर्ता के लिए इस जरुरत को ख़त्म करने की शक्ति प्रदान करता है, जो कि याचिका दाखिल किए जाने हेतु 10% की जरुरी शेयर हिस्सेदारी की पात्रता रखता है। मिस्त्री परिवार के पास टाटा संस में होल्डिंग 18.4% की है, जबकि मिस्त्री के पास सिर्फ 3% हिस्सेैदारी ही है। वहीं, रतन टाटा के कंट्रोल वाले चैरिटेबल इंस्टीट्यूशंस के ग्रुप, टाटा ट्रस्ट्स के पास 66% हिस्सेदारी है। बाकी की हिस्सेदारी टाटा ग्रुप की कंपनियों और रतन टाटा सहित टाटा फैमिली के कुछ सदस्यों के पास है।
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