E9 News, श्रीनगर (साजिद मनुवार्डी) राज्य कैबिनेट ने मंगलवार (18 अप्रैल) को कश्मीर में हिंसा की बढ़ती घटनाओं के बीच जनहानि पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए सुरक्षा बलों से कहा कि कानून-व्यवस्था की घटनाओं से निपटते हुए वे अधिकतम संयम बरतें. प्रवक्ता ने कहा कि मंगलवार को मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की अध्यक्षता में हुई बैठक में कैबिनेट ने ‘सिविल सोसायटी और अभिभावकों से अनुरोध किया कि वे युवाओं को हिंसक प्रदर्शनों से दूर रहने के लिए समझाएं, क्योंकि अधिकतम संयम बरतने के बावजूद कई बार इसके जानलेवा परिणाम हो सकते हैं.
पिछले कुछ हफ्तों से कश्मीर घाटी में चल रही अशांति की पृष्ठभूमि में बुलाई गई इस बैठक में सुरक्षा तथा कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की गई और हिंसा प्रदर्शनों के दौरान ‘जनहानि को लेकर गहरा दुख व्यक्त किया. प्रवक्ता ने कहा कि कैबिनेट ने पुलिस और सुरक्षा बलों को निर्देश दिया कि जनहानि से बचने के लिए वह कानून-व्यवस्था की स्थिति से निपटने के दौरान अधिकतम संयम बरतें. प्रदेश प्रशासन को कैबिनेट ने निर्देश दिया है कि वह स्थितियों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए हर संभव उपाय करें और साथ-साथ सुनिश्चित करें कि जनता को कोई दिक्कत ना आए तथा उनकी समस्याएं सुलझाए. कश्मीर घाटी में पिछले कुछ हफ्ते से हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. श्रीनगर लोकसभा उपचुनाव के लिए 9 अप्रैल को हुए मतदान के दिन भी हिंसा हुई जिसमें आठ लोग मारे गए.
सोमवार (17 अप्रैल) को विपक्षी नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में जम्मू कश्मीर सरकार की और से छात्रों के प्रदर्शन से निपटने के तरीके पर सवाल उठाए. उन्होंने समूची घाटी के कॉलेज छात्रों के सड़कों पर उतरने के बाद एक ट्वीट में कहा कि ‘मुझे आशा है कि महबूबा मुफ्ती ने घाटी में छात्रों के सामूहिक प्रदर्शन के असर के बारे में सोचा होगा. यह गहरी चिंता की स्थिति है.’ पूर्व सीएम ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि ‘पुलवामा झड़पों के बाद कुछ दिन के लिए सभी कालेजों, विश्वविद्यालयों को बंद क्यों नहीं किया जा सका? क्या महबूबा मुफ्ती स्थिति को लेकर सतर्क नहीं हैं?’ छात्र शनिवार (15 अप्रैल) को पुलवामा डिग्री कॉलेज में प्रदर्शन से निपटते वक्त सुरक्षाबलों की और से कथित रूप से कड़ाई करने का विरोध कर रहे थे. सप्ताहांत पर हुई झड़पों में कई छात्र घायल हुए. उमर महबूबा नीत सरकार के कड़े आलोचक रहे हैं और उनका आरोप है कि वह राज्य की जनता को नेतृत्व और निर्देश देने में नाकाम रही है.
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