E9 News, नई दिल्ली (ब्यूरो): चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार को लिखी चिट्ठीमें सिफारिश की है कि जिन विधायकों या सांसदों के खिलाफ चुनाव में मतदाताओं को रिश्वत देने के मामले में आरोपपत्र दाखिल कर आरोप तय हो जाये तो उन्हें अयोग्य किये जाने का प्रावधान हो। आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक कानून मंत्रालय को भेजे पत्र में आयोग ने लिखा कि इसके लिए जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 में संशोधन करके इस प्रावधान को जोड़ा जाए। चुनाव लडऩे पर लगे पाबंदी जन प्रतिनिधित्व कानून के मौजूदा प्रावधान के मुताबिक जनप्रतिनिधि के खिलाफ संगीन अपराध साबित हो जाये और उसे सजा सुना दी जाए तब उसे पद से बर्खास्त कर सजा की मियाद पूरी होने और उसके 6 साल बाद तक चुनाव लडऩे पर पाबंदी होती है। आयोग की सिफारिश है कि 5 साल की बजाय एक साल की सजा होने पर भी जनप्रतिनिधि को बर्खास्त करने और चुनाव लडऩे पर पाबंदी लगाई जाए। हालांकि रिश्वत देने के आरोपी जनप्रतिनिधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए चुनाव आयोग की इस सिफारिश को सरकार तीन बार ठंडे बस्ते में डाल चुकी है। रिश्वत देना गंभीर अपराध लॉ कमीशन का मानना है कि राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए ये प्रावधान काफी नहीं हैं। चुनाव आयोग का कहना है कि मतदाता को रिश्वत देना एक गंभीर अपराध है और इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। चुनाव आयोग की ये सिफारिश हाल के वर्षों में चुनाव में भ्रष्टाचार की शिकायतों के मद्देनजर आई है जहां कई जगह वोट के बदले नोट देने की शिकायतें मिली हैं।
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