E9 News चंडीगढ़/नई दिल्ली: सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद मामले पर हरियाणा सरकार की जल्द सुनवाई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जल्द सुनवाई करेंगे। हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की डिक्री लागू न करने के खिलाफ पंजाब के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल कर रखी है। बीती दो मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि वो पुराने मसलों पर विचार नहीं करेगा। जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट केवल इस बात पर विचार करेगा कि कोर्ट का आदेश और डिक्री कैसे लागू हो। सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के डिक्री के बावजूद पंजाब के लिए ये असंवैधानिक होगा कि वो उसे लागू करें। पंजाब सरकार के वकील आरएस सूरी ने कहा था कि पंजाब विधानसभा द्वारा 2004 में पारित किया गया कानून अभी प्रभावी है भले ही डिक्री हरियाणा के पक्ष में गया है। उन्होंने कहा था कि 2004 का एक्ट कभी भी असंवैधानिक करार नहीं दिया गया और तब तक 2002 की डिक्री लागू नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा था कि हरियाणा ने संविधान की धारा 131 के तहत कोई याचिका दायर नहीं की है। पंजाब ने कहा था कि जनवरी 2003 में पानी की शिकायत के बावजूद उस पर केंद्र सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की जिसकी वजह से पंजाब को 2004 का कानून पारित कराने पर बाध्य होना पड़ा। जब आरएस सूरी बार-बार डिक्री पर जोर दे रहे थे तो जस्टिस पीसी घोष ने कहा कि मेरे ख्याल से डिक्री पर अमल हो गया है। हरियाणा सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने पंजाब की दलीलों का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि इससे भारत की अखंडता पर असर पड़ेगा। पंजाब सरकार के एक और वकील रामजेठमलानी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वो दोनों राज्यों के बीच मध्यस्थता करे। 22 फरवरी को सुनवाई के दौरान सतलुज-यमुना लिंक नहर मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि लिंक नहर का निर्माण करना ही होगा। कोर्ट ने कहा था कि हमारा आदेश और डिक्री लागू होनी चाहिए। पानी कितना है और कहां से आएगा ये बाद में देखा जाएगा।कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब सरकार से कहा था कि कानून व्यवस्था बनाए रखा जाए और इसकी जिम्मेदारी दोनों राज्यों पर है। हालांकि कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया। केंद्र इस मामले में रिजर्व फोर्स है और अगर जरुरत पड़ी तो उसका इस्तेमाल किया जाएगा। कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वे पूरे मसले पर नजर बनाए रखें। वे इस मामले में पहले भी आदेश जारी कर चुके हैं लेकिन उस पर कोई अमल नहीं किया गया। इस मामले को और नहीं खींचा जा सकता और जल्द ही इस पर फैसला करेंगे।
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