E9 News,वाशिंगटन: अमरीका ने शीर्ष भारतीय आई.टी. कंपनियों टी.सी.एस. और इन्फोसिस पर लॉटरी प्रणाली में ज्यादा टिकट डाल कर एच-1बी वीजा का एक बड़ा हिस्सा हथियाने का आरोप लगाया है. अमरीका का ट्रंप प्रशासन वीजा नियमों को और सख्त बनाने में लगा है. ट्रंप सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि कुछ बड़ी आऊटसोर्सिंग कंपनियां लॉटरी में ढेर सारे टिकट लगा देती हैं जिससे इस लॉटरी ड्रा में उनकी सफलता की गुंजाइश बढ़ जाती है. व्हाइट हाऊस की वैबसाइट पर डाली गई बातचीत के अनुसार वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘संभवत: आप उनके नाम जान ही गए होंगे. टाटा, इन्फोसिस और कोग्निजैंट जैसी कंपनियों को सबसे ज्यादा एच-1बी वीजा मिलता है. वे बहुत ज्यादा संख्या में वीजा के लिए अर्जी लगाती हैं. इसके लिए जितने वीजा मिलेंगे वे लॉटरी में ज्यादा टिकट डालकर बड़ी संख्या में वीजा हासिल कर लेती हैं.’’ जब यह सवाल किया गया कि खाली भारतीय कंपनियों का ही उल्लेख क्यों किया जा रहा है तो व्हाइट हाऊस का जवाब था कि सबसे ज्यादा वीजा जिन 3 कंपनियों को मिला है उनमें टाटा कंसल्टैंसी सर्वसेज (टी.सी.एस.), इन्फोसिस और कोग्निजैंट शामिल हैं. अधिकारी ने कहा कि इन तीनों कंपनियों में एच-1बी वीजा वालों के लिए औसत तनख्वाह 60,000 से 65,000 डॉलर (प्रतिवर्ष) है. इसके विपरीत सिलिकॉन वैली में सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की औसत तनख्वाह करीब 1,50,000 डॉलर है.’’ वहीं तीनों भारतीय कंपनियों ने अमरीका प्रशासन के बयान पर टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया.
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