
E9 News हरिद्वार: प्रदेश सरकार भले ही गरीब जनता को सहूलियत देने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं पर हर साल करोड़ों रूपए खर्च करती हो लेकिन हरिद्वार में बड़े-बड़े सरकारी अस्पताल और चिकित्सक होने के बावजूद महिलाएं खुले में बच्चों को जन्म देने को विवश हैं। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है जहां अस्पताल में उपचार न मिलने पर एक महिला ने अस्पताल की गैलरी में ही जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। इन बच्चों के पिता की मानें तो उसने अपनी पत्नी को 4 अप्रैल की रात को महिला चिकित्सालय में भर्ती कराया था। जहां सुबह तड़के तक इसकी पत्नी की न तो चिकित्सकों ने डिलीवरी कराई और न ही इन्हें उपचार दिया और फिर पत्नी को कहीं और ले जाने को कह दिया गया। जैसे ही ये अपनी पत्नी को लेकर निकला उसने अस्पताल की गैलरी में ही जुड़वां बच्चों को जन्म दे दिया। इसमें अगर किसी ने इनकी मदद की तो वह थी इनकी आशा कार्यकर्ता। संकट की घड़ी में मदद के लिए आगे आई आशा कार्यकर्ता उषा का कहना है कि 5 माह से महिला चिकित्सालय से उपचार चल रहा था। महिला को भर्ती कर लिया गया था लेकिन दर्द बढ़ने के बावजूद भी डॉक्टर को नहीं बुलाया गया। जिसके बाद अस्पताल स्टाफ ने डिलीवरी करने से मना कर दिया और बाहर ही डिलीवरी हो गई। इस संबंध में जब महिला चिकित्सालय की सीएमएस डॉ भवानी पाल ने पूछा गया तो वो स्टाफ की कमी की दुहाई देती नज़र आईं। उन्हें 10 नर्स का स्टाफ भी कम लग रहा है जबकि वे आए दिन खुद 24 घंटे उपचार देने का दावा करती रहती हैं।
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