November 21, 2024

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‘दोस्तों मैं छोड़ रहा हूं गेस्टहाउस CM आवास जाने का सपना रह गया अधूरा’

E9 News देहरादून: सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का दर्द एक बार फिर छलक पड़ा है। ये दर्द है एक घर को छोड़कर दूसरे घर में जाने का। राज्य की सत्ता से बाहर होने के बाद सीएम हरीश रावत अपने लिए नया अशियाना खोज रहे थे, लेकिन उन्हें देहरादून में नया अशियाना नहीं मिला। हरीश रावत ने ट्विटर पर एक पोस्ट के जरिए बीजापुर गेस्ट हाउस छोड़ने की जानकारी दी है। उन्होंने लिखा है कि ‘दोस्तों मैं, सोमवार के अपराह्न, 3 वर्ष 2 माह तक घर, कार्यालय, मित्रों, दोस्तों व शुभचिन्तकों का एक ठिकाना रहा बीजापुर गेस्ट हाउस खाली कर रहा हूं। उन्होंने आगे लिखा है कि ‘मैं बीजापुर गेस्ट हाउस को धन्यवाद देना चाहता हूं बहुत अच्छी और चुनौतीपूर्ण यादें अपने साथ लेकर के जा रहा हूं। धन्यवाद बीजापुर। घर ढ़ूढ़ने में सबको कठनाई आती है, मुझे भी आयी। मैंने उस कठनाई को लोगों के साथ इसलिये शेयर किया कि, लोग नेताओं को घर देने में डरते क्यों हैं? इस पर चर्चा हो कहीं तो कुछ खोट है’। मेरे ट्वीट पर दो-तीन दोस्तों ने जिनमें से दो को मैं जानता हूं, वे भाजपा से जुड़े हैं, उन्होंने मुझ पर बहुत गुस्सा और नफरत निकाली है। मैं अपने दोस्त सेमवालजी को कहना चाहता हूं कि, मैं तो प्रतिदिन तीन या चार बार लोगों से मिलता था और रात देर तक मिलता था। उनको मुझसे मिलने मैं कठिनाई हुई, मुझे क्षमा करें। मगर मुझे उस व्यक्ति का नाम जरूर बता दें, जिसने मुझसे मिलने के ऐवज में पैंसा मांगा था। उन्होंने कहा कि बीजापुर गेस्ट हाउस में जब मैं रहने आया, राज्य भयंकर आपदा से ग्रस्त था। मैंने शपथ ली थी कि, जब-तक आपदा ग्रस्त राज्य की अर्थव्यवस्था व आवागमन को पटरी पर नहीं लाऊंगा और पीड़ितों का पुर्नवास पूर्ण नहीं हो जायेगा। मैं बीजापुर गेस्ट हाउस में ही रहूंगा। राज्य की अर्थव्यवस्था पटरी पर आयी, आवागमन पुनः स्थापित हुआ, हजारों लोगों के घर भी बने, मगर खतरे से जूझ रहे 350 गांवों का विस्थापन करने का सपना अधूरा रह गया। उसके साथ मुख्यमंत्री आवास जाने का मेरा भी सपना अधूरा रह गया। खैर मेरा सपना अधूरा रह जाय कोई बात नहीं, वह व्यक्ति का सपना है। गांवों के पुर्नवास की चुनौती को आओ हम सब मिलकर पूरा करें।